न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): Manipur Unrest:असम राइफल्स ने दक्षिण मणिपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने एक पुल को सुरक्षित करने के लिये अतिरिक्त सैनिकों को तैनात कर दिया है, जो कि हिंसा प्रभावित मणिपुर में चुराचांदपुर जिले (Churachandpur District) के जनजातीय जिले को जरूरी सप्लाई ले जाने के लिये एकमात्र रास्ता है। सुरक्षा बलों की घाटी में रहने वाले मेइती विद्रोही गुटों से गहमागहमी होने के बाद यहां जवानों के अतिरिक्त कॉलम की तैनाती की है। सामने आ रहा है कि मेइती विद्रोही गुट के लोग एनएच 102 बी पर सिंजोल में पुल को नुकसान पहुंचाने की प्लानिंग बना रहे थे, ये पुल मणिपुर को पड़ोसी राज्य मिजोरम (Mizoram) से जोड़ता है।
राजमार्ग पर कई रूकावटें इरादतन खड़ी की जा रही है। विद्रोही समूहों के सशस्त्र कैडरों के साथ कुकी और मेइती दोनों समुदाय के लोगों की हथियारबंद मुहिम के बीच राज्य भर में विभिन्न समुदायों के लिये जरूरी सामान की सप्लाई का ट्रांसपोर्टेशन खतरे में पड़ता दिख रहा है। राज्य के दक्षिण में कुकी-बहुल इलाके चुराचंदपुर को मिजोरम से सड़क के रास्ते आवश्यक आपूर्ति मिल रही है क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने राज्य के उत्तरी इंफाल (Imphal) घाटी के कई इलाकों में नाकेबंदी कर दी है। सामने आ रहा है कि मिजोरम को कनेक्ट करनी वाली इस सड़क को अब मेइती विद्रोही बंद करने की धमकी दे रहे है।
दूसरी ओर उत्तर में कुकी गुट ने मेइती बहुल इम्फाल घाटी के लिये मुख्य आपूर्ति रास्ते को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे जरूर सामान की मालढुलाई के लिये ट्रकों को वैकल्पिक मार्ग पर वापसी को मजबूर होना पड़ा है। दक्षिण-पूर्व में चंदेल और टेंग्नौपाल (Chandel and Tengnoupal) के सीमावर्ती इलाके जो कि बड़े पैमाने पर कुकी और नागा-बहुल जिले है, अब जरूरी सामान की सप्लाई के लिये पूरी तरह से म्यांमार (Myanmar) पर निर्भर हैं क्योंकि उन्हें मणिपुर के बाकी हिस्सों से काट दिया गया हैं।
इसी क्रम में बीते मंगलवार (20 जून 2023) को मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा (Chief Minister Zoramthanga) ने ट्वीट कर लिखा कि- “2,388.50 क्विंटल चावल मिजोरम सरकार (Government of Mizoram) की ओर से अशांत मणिपुर इलाकों में जो जनजातियों और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिये भेजा गया है। इस रसद के साथ मिजोरम ने कई ओर राहत सामग्री की भी सप्लाई मणिपुर में की है।” मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा ने दावा किया है कि मणिपुर में जातीय संघर्ष के भड़कने के बाद से मणिपुर से अंदरूनी तौर पर विस्थापित कुल 11,785 लोगों ने मिजोरम में पनाह ली है।
3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा भड़कने के बाद से कुकी और मैतेई (Kuki and Meitei) दोनों समुदायों के 100 से ज्यादा लोग मारे गये हैं और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
इस बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 2 को उत्तर में कुकी गुट ने रोका हुआ है। इंफाल घाटी में मैतेई बहुल इलाकों में सप्लाई एनएच 37 के जरिये की जा रही है। बीते अप्रैल महीने में जातीय संकट से पहले औसतन 390 गाड़ियां मौजूदा हिंसाग्रस्त इलाके से जरूरी सामान लेकर गुजरा करती थी। अब पिछले 14 दिनों में NH37 पर औसतन रोजाना गाड़ियों की आवाजाही बढ़कर 483 हो गयी है, ये साफतौर पर दिखाता है कि वैकल्पिक रास्ता अब पूरी तरह से चालू हो गया है।
इसी क्रम में 3 मई से दो चरणों में पुलिस हथियारखाने से 4,000 से ज्यादा हथियार और लाखों गोला-बारूद लूटे जा चुके हैं। अब तक एक हजार से ज्यादा हथियार बरामद किये गये हैं या पुलिस हथियारखानों को लौटाये गये हैं। चोरी किये गये हथियारों में से ज्यादातर मेइती कैडरों के पास हैं और बाकी के बचे हथियार कुकी गुटों के पास हैं।
छीने गये हथियारों में से कई प्रतिबंधित मेइती विद्रोही गुटों के कब्जे में होने की बात सामने आ रही है। कई मैतेई गुट के लोग हथियार लेकर म्यांमार की सीमा में घुस चुके है। 3 मई से घाटी में ऐसे लगभग 60 से 70 गुटों की आवाजाही को दर्ज किया गया।
बता के दि साल 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर को भारत से अलग करने की वकालत करने वाले आठ मेइती चरमपंथी संगठनों पर प्रतिबंध बढ़ा दिया था। मंत्रालय की ओर से जारी एक अधिसूचना में कहा कि ये संगठन अपने लिये महफूज पनाहगाह बनाकर ट्रेनिंग, हथियारों और गोला-बारूद की गुपचुप खरीद के मकसद से पड़ोसी देशों में कैंप बनाये हुए थे।