न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ/राम अजोर): 19 अप्रैल को मणिपुर (Manipur) के जनजातीय लोगों की इच्छा के उलट मेइती समुदाय (Meitei Community) को एसटी सूची में शामिल करने की मांग की सिफारिश करने के लिये मणिपुर सरकार को निर्देश देने वाला उच्च न्यायालय के फैसले से कई आदिवासी समुदायों में असंतोष दिखा। स्थानीय लोगों का मानना है कि ये फैसला सीधा एकतरफा है, जिसने सिर्फ और सिर्फ याचिकाकर्ताओं के हितों को सुना गया।
मामले को लेकर ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (All Tribal Students Union Manipur) में खासा नाराज़गी दिखायी दी। स्टूडेंट्स यूनियन के मुताबिक राज्य के सामाजिक और आर्थिक रूप से उन्नत मेइती समुदाय के लिये एसटी दर्जे की मांग पूरी तरह गैरवाज़िब और बेबुनियादी है। ये उन जनजातीय लोगों की सुरक्षा की भावना चोट पहुँचायेगा जो कि संविधान के प्रावधानों के तहत संरक्षित हैं। राज्य के कई आदिवासी समुदाय इस मांग के वैध कारणों का खुला विरोध करते रहे है। मेइती समुदाय आर्थिक स्तर पर काफी मजबूत है, जिसकी वज़ह से उन्हें अनुसूचित जनजाति में शामिल करना सरासर गलत है।
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने आगे कहा कि, “राज्य के वंचित और हाशियें पर जीवनयापन कर रहे मूलनिवासी इस फैसले को चुपचाप नहीं स्वीकारेंहें। हम इसके लिये राज्य सरकार को दोष देते हैं जिसकी सहमति से ऐसा एकतरफा फैसला सुनाया गया। हम केंद्र सरकार से इस मामले में दखल देने की गुज़ारिश करेगें ताकि इसे लागू होने से रोका जा सके। राज्य सरकार को इस मांग की सिफारिश करने से बचना चाहिये क्योंकि ये आदिवासी लोगों के अधिकारों और हितों पर बुरा असर डालती है।
इसी क्रम में आज (24 अप्रैल 2023) मणिपुर के कई हिस्सों में बंद का आवाह्न किया गया है। इस बंद का बड़े पैमाने पर जनजातीय समुदाय के छात्र कर रहे है, जो कि सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक चलेगा। बता दे कि बीते 3 अप्रैल 2023 को एटीएसयूएम के साथ कई खाली पड़े पदों रिक्ति पदों में एससी, एसटी और ओबीसी सीटों के आरक्षण पर केंद्रीय मानदंडों की मांगों पर हस्ताक्षर किये गये समझौता ज्ञापन को लागू नहीं करने के लिये रिम्स प्राधिकरण और जेडएसपी बंद को पुरजोर तरीके से लागू करेगी।
दोनों ही संगठन राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का सीधा आरोप लगा रही है। मणिपुर के कई जनजातीय समुदाय के छात्र इसे न्याय और हक़ की लड़ाई मान रहे है।