न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ/राम अजोर): Meitei Community Reservation Controversy in Manipur: मणिपुर में मेइती आरक्षण का मसला तूल पकड़ता जा रहा है। बीते सोमवार जनजातीय समुदाय के छात्र संगठन की ओर से बुलाये गये बंद का व्यापक प्रभाव पूरे राज्य में देखा गया। खास बात ये रही कि ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (All Tribal Students Union) की ओर से आवाह्न किया गया बंद पूरी तरह से अनुशासित और संयमित रहा, कहीं भी किसी तरह की कोई हिंसा की खब़र सामने नहीं आयी। एहतियात के तौर पर पुलिस प्रशासन मुस्तैद दिखे। मणिपुर में बंद के दौरान शैक्षणिक संस्थान, बाज़ार और सभी संस्थाओं ने मामले के खिलाफ अपना समर्थन ज़ाहिर करते हुए इसमें हिस्सा लिया।
मणिपुर के पहाड़ी जिलों में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) के कुल 12 घंटे के बंद ने कांगपोकपी के साथ-साथ राज्य के कई पहाड़ी जिलों में सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। पूर्ण बंद आज सुबह छह बजे शुरू हुआ और शाम छह बजे खत्म हुआ। कांगपोकपी जिला मुख्यालय (Kangpokpi District Headquarters) में सभी कारोबारी प्रतिष्ठान का काम भी ठप्प रहा। राज्य की राजधानी इंफाल को दुनिया के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग-2 सुनसान नजर आया क्योंकि वाणिज्यिक वाहनों समेत वाहन सड़क से नदारद रहे। टोटल शटडाउन के दायरे से छूट पाने वाले वाहन ही सड़कों पर नजर आये।
बंद के बाद ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) की प्रतिक्रिया सामने आयी, जिसमें छात्र संगठन ने दावा किया कि वो इस आंदोलन को फिर से नयी धार देगा क्योंकि क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) प्राधिकरण त्रिपक्षीय समझौते की सहमत शर्तों की अमली जामा पहनाने में पूरी तरह से नाकाम रहा है। बता दे कि ATSUM, RIMS और मणिपुर राज्य सरकार के बीच 3 अप्रैल 2023 को त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इस समझौते में बीते 3 मार्च को जारी हुए नोटिस को रद्द करने, एलडीसी पदों पर आरक्षण के तहत अनुसूचित जाति (3%), अनुसूचित जनजाति (34%) और अन्य पिछड़ा वर्ग (13%) बहाली समेत ग्रुप सी और ग्रुप डी पदों पर सभी भर्ती के मामलों में मौजूदा नियमों और डीओपीटी दिशानिर्देशों का पालन करने से जुड़ी शर्तें थी।
इसी मुद्दे पर एटीएसयूएम ने कहा था कि, “रिम्स में बिना उचित आरक्षण मानदंडों के एलडीसी के 15 पदों की अतिरिक्त बैकडोर नियुक्ति को गंभीरता से लिया है, साथ ही हम बैकडोर नियुक्तियों को रद्द करने की भी मांग करते है।” बता दे कि इसी मुद्दे पर बीते चर्चा करने और आगे की कार्य योजना बनाने के लिये 17 अप्रैल 2023 को एटीएसयूएम उससे जुड़े संस्थानों और संघीय इकाइयों की एक संयुक्त बैठक हुई थी।
कुछ समय के लिये विरोध को रोकने के लिये रिम्स निदेशक की अपील के मामले से जुड़े में एक सवाल के जवाब में एटीएसयूएम के कार्यकारी ने कहा कि ये रिम्स प्राधिकरण की ओर से सिर्फ तुष्टिकरण नीति थी।
मामले को लेकर बंद के बाद ATSUM के एक पदाधिकारी ने कहा कि- “आगे की कार्रवाई पर कोई फैसला नहीं लिया गया है क्योंकि ATSUM अपने अधीनस्थों और संघ इकाइयों के साथ मिलकर अपना पक्ष रखेगी और और आगे की कार्रवाई पर फैसला करेगी।“ आखिर में एटीएसयूएम मणिपुर सूबे में जनजातीय लोगों के अधिकारों को बनाये रखने के लिये इस संघर्ष के दौरान पहाड़ी जिलों के सभी जनजातीय संगठनों की ओर से आये समर्थन की तारीफ की। साथ ही बंद दौरान आम लोगों को हुई किसी भी तरह की असुविधा के लिए खेद ज़ाहिर किया।