नई दिल्ली (शौर्य यादव): तीन केन्द्रीय कृषि कानूनों के देशव्यापी विरोध के बीच आप पीएम मोदी ने इस साल के आखिरी मन की बात (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के माध्यम से देश को संबोधित किया। उनका ये संबोधन काफी अहम है। इससे पहले तीन मौकों पर पीएम मोदी अलग-अलग मंचों से आंदोलनकारी किसानों (Agitating farmers) का समझाने की कोशिश कर चुके है। इस बीच कार्यक्रम के दौरान कई प्रदर्शन स्थलों पर किसानों ने ताली और थाली बजाकर इस कार्यक्रम का विरोध किया। फिलहाल किसान 29 दिसंबर को केन्द्र सरकार से वार्ता का प्रस्ताव (Negotiation proposal) मान चुके है।
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कही, ये अहम बातें:
- अधिकतर पत्रों में लोगों ने देश के सामर्थ्य, देशवासियों की सामूहिक शक्ति की भरपूर प्रशंसा की है। जब जनता कर्फ्यू जैसा अभिनव प्रयोग, पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बना, जब ताली-थाली बजाकर देश ने हमारे कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया था, एकजुटता दिखाई थी उसे भी कई लोगों ने याद किया है।
- हमारे देश में आतताइयों से, अत्याचारियों से, देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, हमारे रीति-रिवाज को बचाने के लिए, कितने बड़े बलिदान दिए गए हैं, आज उन्हें याद करने का भी दिन है।
- आज के ही दिन गुरु गोविंद जी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्था छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें। लेकिन, हमारे साहिबजादों ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया, इच्छाशक्ति दिखाई। दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊँची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन, फिर भी वो टस-से-मस नहीं हुए।
- आज ही के दिन गुरु गोविंद सिंह जी की माता जी – माता गुजरी ने भी शहादत दी थी। लोग, श्री गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार के लोगों के द्वारा दी गयी शहादत को बड़ी भावपूर्ण अवस्था में याद करते हैं। इस शहादत ने संपूर्ण मानवता को, देश को, नई सीख दी।
- मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं एक ऐसी बात बताने जा रहा हूँ, जिससे आपको आनंद भी आएगा और गर्व भी होगा। भारत में Leopards यानी तेंदुओं की संख्या में, 2014 से 2018 के बीच, 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है।
- देश के सम्मान में सामान्य मानवी ने इस बदलाव को महसूस किया है। मैंने देश में आशा का एक अद्भुत प्रवाह भी देखा है। चुनौतियां खूब आई, संकट भी अनेक आए। कोरोना के कारण दुनिया में Supply Chain को लेकर अनेक बाधाएं भी आई, लेकिन हमने हर संकट से नए सबक लिए।
- पिछले कुछ सालों में, भारत में शेरों की आबादी बढ़ी है, बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, साथ ही, भारतीय वनक्षेत्र में भी इजाफा हुआ है। इसकी वजह ये है कि सरकार ही नहीं बल्कि बहुत से लोग, civil society, कई संस्थाएँ भी, हमारे पेड़-पौधों और वन्यजीवों के संरक्षण में जुटी हुई हैं।
- मैंने, तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक ह्रदयस्पर्शी प्रयास के बारे में पढ़ा । आपने भी social media पर इसके visuals देखे होंगे। हम सबने इंसानों वाली wheelchair देखी है, लेकिन, कोयंबटूर की एक बेटी गायत्री ने, अपने पिताजी के साथ, एक पीड़ित dog के लिए wheelchair बना दी।
- एक दिन, कुछ पर्यटकों ने इस भूले-बिसरे मंदिर का एक video social media पर post कर दिया। युवा brigade ने जब इस वीडियो को social media पर देखा तो उनसे रहा नहीं गया और फिर, इस टीम ने मिलजुल कर इसका जीर्णोद्धार करने का फैसला किया।
- ये सभी युवा कई अलग तरह के profession से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन्होंने weekends के दौरान समय निकाला और मंदिर के लिए कार्य किया। युवाओं ने मंदिर में दरवाजा लगवाने के साथ-साथ बिजली का connection भी लगवाया।
- आपको यह जानकर खुशी होगी कि कश्मीरी केसर को GI Tag का सर्टिफिकेट मिलने के बाद दुबई के एक सुपर मार्किट में इसे launch किया गया। अगली बार जब आप केसर को खरीदने का मन बनायें, तो कश्मीर का ही केसर खरीदने की सोचें।
- गीता, हमें, हमारे जीवन के हर सन्दर्भ में प्रेरणा देती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, गीता इतनी अद्भुत ग्रन्थ क्यों है ? वो इसलिए क्योंकि ये स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की ही वाणी है। लेकिन गीता की विशिष्टता ये भी है कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है। प्रश्न से शुरू होती है।
- दरअसल, श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी संस्कृत और तमिल के विद्वान हैं। वो अब तक करीब 16 आध्यात्मिक ग्रन्थ भी लिख चुके हैं। लेकिन, Computer आने के बाद उन्हें जब लगा कि अब तो किताब लिखने और प्रिंट होने का तरीका बदल गया है, तो उन्होंने, 86 साल की उम्र में, computer सीखा।
- कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो लगातार कुछ-न-कुछ नया करते रहते हैं, नए-नए संकल्पों को सिद्ध क्रेते रहते हैं। आपने भी अपने जीवन में महसूस किया होगा, जब हम समाज के लिए कुछ करते हैं तो बहुत कुछ करने की उर्जा समाज हमें खुद ही देता है।
- गुरुग्राम के प्रदीप सांगवान 2016 से Healing Himalayas नाम से अभियान चला रहे हैं। वो अपनी टीम और volunteers के साथ हिमालय के अलग-अलग इलाकों में जाते हैं, और जो प्लास्टिक कचरा टूरिस्ट वहाँ छोड़कर जाते हैं, वो साफ करते हैं।