क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) या क्रिप्टो डिजिटल मुद्रा है जिसका इस्तेमाल सामान और सेवाओं को खरीदने के लिए किया जा सकता है।ऑनलाइन लेनदेन को सुरक्षित करने के लिये मजबूत क्रिप्टोग्राफी के साथ ये ऑनलाइन बहीखाते का इस्तेमाल करता है। इन अनियमित मुद्राओं में ज़्यादातर इस्तेमाल मुनाफा कमाना होता है, ज़्यादा मांग होने के कारण कभी-कभी इसकी कीमतें आसमान छूती हैं।
सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन है। इसकी कीमत में इस साल लगातार उतार-चढ़ाव बना रहा, जो कि अप्रैल महीने में लगभग 65,000 अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया और मई में इसका मूल्य लगभग आधा रह गया।
क्या है Cryptocurrency?
क्रिप्टो करेंसी दो शब्दों से मिलकर बना है। क्रिप्टो लैटिन शब्द है जो क्रिप्टोग्राफी से लिया गया है और जिसका मतलब है छिपा हुआ। जबकि करेंसी भी लैटिन भाषा के शब्द करंटिया से आता है, जिसका इस्तेमाल पैसे के लिये किया जाता है। तो क्रिप्टोकरेंसी का मतलब छिपा हुआ पैसा या गुप्त पैसा या डिजिटल रुपया है।
Cryptocurrency किसने और क्यूं बनायी?
बहुत से लोग मानते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत सातोशी नाकामोटो (Satoshi Nakamoto) ने साल 2009 में की थी, लेकिन ऐसा नहीं है। इससे पहले भी कई निवेशकों या देशों ने डिजिटल करेंसी पर काम किया था। अमेरिका ने साल 1996 में प्राइम इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड (Prime Electronic Gold) बनाया। इस सोना को रखा नहीं जा सकता था लेकिन चीजों को खरीदने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता था। हालांकि साल 2008 में इसे बैन कर दिया गया। इसी तरह साल 2000 में नीदरलैंड ने पेट्रोल भरने के लिए कैश को स्मार्ट कार्ड से लिंक किया था।
बिटकॉइन सबसे महंगी वर्चुअल करेंसी
सीधे शब्दों में कहें तो क्रिप्टोकरेंसी जो कि एक डिजिटल कैश सिस्टम है, जो कंप्यूटर एल्गोरिदम (Computer Algorithms) की मदद से बनाया गया है। ये सिर्फ न्यूमैरिकली (अंकीय रूप) ऑनलाइन रहता है। इस पर किसी देश या सरकार का नियंत्रण नहीं होता। शुरूआती दौर में इसे कई मुल्कों ने अवैध घोषित कर दिया लेकिन बाद में बिटकॉइन की बढ़ती लोकप्रियता के कारण इसे कई देशों में इसे वैध कर दिया गया। कुछ देश अपनी खुद की क्रिप्टोकरेंसी भी ला रहे हैं। बिटकॉइन दुनिया की सबसे महंगी वर्चुअल करेंसी है।
ऐसे काम करती है क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी मुद्राओं की लोकप्रियता पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ी है। इनका इस्तेमाल ब्लॉकचेन सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जाता है। ये डिजिटल मुद्राएं एन्क्रिप्टेड या कोडित हैं। ये विकेन्द्रीकृत प्रणाली के द्वारा मैनेज किया जाता है। इसमें हर ट्रांजैक्शन को डिजिटल सिग्नेचर से वेरिफाई किया जाता है। इसका रिकॉर्ड क्रिप्टोग्राफी की मदद से रखा जाता है।
कैसे किया जाता लेनदेन है?
जब भी क्रिप्टोकरेंसी में कोई लेनदेन होता है तो उसकी जानकारी ब्लॉकचेन में दर्ज की जाती है, यानि उसे एक ब्लॉक में रखा जाता है। इस ब्लॉक की सुरक्षा और एन्क्रिप्शन खनिकों (Encryption Miners) द्वारा किया जाता है। इसके लिए वो एक क्रिप्टोग्राफिक पहेली को हल करते हैं और ब्लॉक के लिए उपयुक्त हैश (एक कोड) ढूंढते हैं।
भारत सरकार का पक्ष
अहम बात ये है कि केंद्र सरकार नए प्रस्तावित बिल में क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से बैन कर सकती है। इस संबंध में साल 2017 में केंद्र द्वारा एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा था। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में सरकार सभी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला ले सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक का पक्ष
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 31 मई 2021 को साफ किया कि बैंक और अन्य रेगुलेटिड संस्थायें क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई द्वारा जारी सर्कुलर को बायपास नहीं कर सकती है क्योंकि पिछले मार्च 2020 में अलग से फरमान जारी किया गया था। जिसके बाद आरबीआई का सर्कुलर उस तारीख से मान्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को बाद आरबीआई के परिपत्र की वैधता पूरी तरह समाप्त हो गयी।
ठीक यहीं स्पष्टीकरण एचडीएफसी, एसबीआई जैसी विभिन्न बैंकिंग संस्थाओं ने हाल ही में निवेशकों को देखते हुए किया। 'अनिश्चित नियामक परिदृश्य (Uncertain regulatory landscape)' के बारे में सचेत कर के इरादे से वित्तीय संस्थानों को साल 2018 के परिपत्र का हवाला दिया गया। बैकिंग समेत कई वित्तीय संस्थानों ने निवेशकों को क्रिप्टो और आभासी मुद्राओं से जुड़े जोखिमों से अवगत कराया। इस संबंध में इन बैंकों द्वारा भेजे गये मेल में ये भी बताया गया कि इन नियमों का पालन करने में नाकाम रहने वालों का बैंक खाता परमानेंट बंद कर दिया जायेगा और क्रेडिट कार्ड को भी सस्पेंड किया जा सकता है।