न्यूज डेस्क (देवागंना प्रजापति): मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने आज (6 दिसंबर 2021) पूर्वोत्तर से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को हटाने की मांग की। संगमा ने ट्वीट कर लिखा कि, “अफस्पा को निरस्त किया जाना चाहिए।” संगमा का ये बयान ऐसे वक़्त में सामने आ रहा है जब नागालैंड में सेना की यूनिट ने ग्रामीणों के एक समूह को विद्रोहियों समझकर उन फायरिंग कर दी। इस क्रम में भारत-म्यांमार सीमावर्ती जिले (Indo-Myanmar Border Districts) मोन के ओटिंग गांव के 13 लोग मारे गये।
सेना ने अपने बयान में इस मामले पर खेद ज़ाहिर किया और कहा कि घटना की उच्चतम स्तर पर जांच की जा रही है। घटना के बाद गुस्सायें ग्रामीणों की भीड़ ने सुरक्षा बलों के वाहनों में आग लगा दी और भीड़ को काबू करने के लिए सुरक्षा बलों ने फायरिंग शुरू कर दी जिसमें कुछ स्थानीय लोग मारे गये। नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफिउ रियो (Chief Minister Neiphiu Rio) ने रविवार (5दिसंबर 2021) को नागरिकों की हत्याओं की उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी कर दिये।
बीते 30 जून को गृह मंत्रालय ने नागालैंड में AFSPA को और छह महीने के लिये बढ़ा दिया। गृहमंत्रालय की एक अधिसूचना के मुताबिक ये अधिनियम 31 दिसंबर तक नागालैंड (Nagaland) में प्रभावी रहेगा। ये सुरक्षा बलों को भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों (Northeastern States) में से चार में सार्वजनिक व्यवस्था बनाये रखने के लिए तलाशी, गिरफ्तारी और गोली चलाने की शक्ति देता है।
साल 2019 में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (Union Minister Kiren Rijiju) ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि, "वर्तमान में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA), 1958 को निरस्त करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।" बता दे कि AFSPA 1958 से पूरे असम, नागालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर इलाके को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग तीन जिलों समेत अरुणाचल प्रदेश असम राज्य की सीमा से लगे आठ पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इलाकों में लागू है।