न्यूज डेस्क (वृंदा प्रियदर्शिनी): कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में आतंकवाद की हालिया घटनाओं खासतौर से अल्पसंख्यक समुदायों निशाना बनाकर की गयी हत्या ने एक बार फिर 2000 में अनंतनाग के छत्तीसिंहपोरा गांव में 36 सिखों के नरसंहार की भीषण घटना की याद दिला दी है। इस घटना ने प्रशासन को कड़े कदम उठाने के लिये मजबूर कर दिया है। पाकिस्तान समर्थित तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद आतंकवाद के फिर आंतकी कदम उभरते दिख रहे है।
श्रीनगर जिले के संगम ईदगाह इलाके में सरकारी बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल की सिख प्रिंसिपल सुपिंदर कौर (Sikh Principal Supinder Kaur) और उसी स्कूल के हिंदू शिक्षक दीपक चंद की गुरुवार को हुई हत्या के बाद घाटी के सिख समुदाय अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सामने आया है और कश्मीर में काम कर रहे सिख सरकारी कर्मचारियों से अपने काम का बहिष्कार करने का आह्वान किया है।
ऑल पार्टीज सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी (All Parties Sikh Coordination Committee- APSCC) के अध्यक्ष जगमोहन सिंह रैना ने बताया, “हम हाल ही में हुई हत्या से काफी चिंतित हैं, जिसने हमें छत्तीसिंहपोरा नरसंहार (Chattisinghpura Massacre) की याद दिला दी है, समुदाय के प्रतिनिधियों ने हालातों पर चर्चा करने के लिये एक बैठक की जिसमें तय किया गया कि कश्मीर के सिख सरकारी कर्मचारियों को अपने कामों का बहिष्कार करने के साथ साथ सरकार द्वारा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने तक घर पर ही रहेगें।
ईदगाह की घटना से दो दिन पहले हिंदू पंडित माखन लाल बिंदरू दवा व्यवसायी, वीरेंद्र पवन स्ट्रीट वेंडर और मोहम्मद शफी लोन टैक्सी चालक की अलग-अलग घटनाओं में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिरोमणि अकाली दल (बी) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों की हालिया हत्या को साज़िशन निशाना बनाकर हत्या करने की वारदात करार दिया। उन्होनें केंद्र के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक (Administrator of the Union Territory of Jammu and Kashmir) से भी अपील की है कि वे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि घाटी में दो शिक्षकों की हत्या बेहद चौंकाने वाली घटना है, घाटी में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदायों में डर करने की कोशिश की जा रही है।
गौरतलब है कि घाटी में पुलवामा, बारामूला, बडगाम और श्रीनगर जिलों में करीब पचास हजार सिखों की आबादी रहती है। APSCC के अध्यक्ष ने कहा कि ये उनकी शुरूआती प्रतिक्रिया थी और वे अपनी आगे की कार्रवाई का ऐलान करने से पहले केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक और केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे।
ये वारदात कश्मीर में ऐसे समय में हुई है जब भारत भर से पर्यटकों की भीड़ घाटी में बढ़ रही है, लेकिन इसने पर्यटन उद्योग में उन लोगों के लिये 'बढ़ते कारोबार' की उम्मीदों को एक बड़ा झटका दिया है।