न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): म्यांमार में सैन्य शासन (Military rule in Myanmar) की तानाशाही रोजाना बढ़ रही है। वहां से रोजाना दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आ रही है। सेना बड़ी ही बेरहमी से लोगों को कुचलने के लिए खुलेआम आम जनता पर गोलियां चल रही है। इस मामले की धमक अमेरिका सहित संयुक्त राष्ट्र में देखी गयी। अब इस मामले पर वेटिकन सिटी से पोप फ्रांसिस की भावुक प्रतिक्रिया (Pope Francis’s emotional response) भी सामने आयी है। वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने म्यांमार के तानाशाह सैन्य शासक से कहा कि, मैं घुटने टेककर हाथ फैला कर आपसे प्रार्थना करता हूं कि हिंसा और जुल्मोंगारत (Persecution) का दौर बंद करें।
विशेष प्रार्थना सभा के दौरान उन्होंने ये अपील लोगों के सामने की उन्होनें कहा कि, म्यांमार का माहौल और वहां से आ रही तस्वीरें दिल दहला देने वाली है। वहां के युवा आजादी और अभिव्यक्ति के हक़ के लिए सड़कों पर अपनी जान दे रहे है। नन की एक तस्वीर का हवाला देते हुए उन्होनें कहा कि मैं उस नन की तरह तानाशाह सैन्य शासक से घुटनों के बल बैठकर हाथ फैलाकर उसी तरह दरख्वास्त करता हूं कि इंसानियत पर सितम ढ़हाना बंद किया जाये। बातचीत से ही स्थाई शांति और समाधान के रास्ते निकलते हैं। सड़कों पर खून बहाने से कुछ भी हासिल नहीं हो सकता।
दूसरी ओर म्यांमार के एक शक्तिशाली बौद्ध भिक्षुओं के संगठन (Buddhist monks’ organization) ने भी ठीक इसी तरह की अपील की है। संगठन ने खुलकर सैन्य तानाशाह की निंदा की और आम जनता की हत्या रोकने की बात कही। संगठन के बौद्ध भिक्षुओं ने धार्मिक मामलों के मंत्री से रायशुमारी कर ये बयान जारी करने का फैसला किया। गौरतलब है कि म्यांमार के दर्ज इतिहास में आजादी, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति कायम रखने के लिए इस संगठन का अहम किरदार रहा है। साल 2007 में सैन्य शासन के खिलाफ इसी संगठन के भिक्षुओं ने लंबा संघर्ष किया था। मौजूदा हालातों में संगठन से जुड़े लोग मारकाट को रोकने के लिए सरकार और आम जनता के बीच समन्वय बनाने की कवायद को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं।