भारत के प्राचीन शास्त्रों के अनुसार पारद शंभूबीज (Parad Shivling) है। इसीलिए शास्त्रों में इसे साक्षात शिव माना गया है। शास्त्रानुसार ये दिव्य शिवलिंग माना जाता है। शुद्ध पारद संस्कार द्वारा बंधन करके जिस भी देवी देवता की प्रतिमा बनाई जाती है, मान्यता है कि वह स्वयं सिद्ध होती है।
पारद शब्द में प (विष्णु), अ (अकार) कालिका, र (शिव) और द (ब्रह्मा) का प्रतीक बताये गये हैं। वाग्भट के मत के अनुसार जो भी व्यक्ति पारद शिवलिंग का भक्ति भाव के साथ पूजन करता है उसे तीनो लोक में स्थित शिवलिंगो के पूजन का फल प्राप्त होता है। पारद लिंग का दर्शन मात्र महापुण्य दाता बताया गया है। शास्त्रों में उल्लेख है कि पारद लिंग के दर्शन से सैकड़ों अश्वमेध यज्ञ (Ashwamedha Yagya) के समान फल की प्राप्ति होती है।
जिस घर में पारद लिंग का नियमित रूप से पूजन होता है। वहां सभी प्रकार के भौतिक और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है। उस घर में किसी भी प्रकार की कमी नहीं पड़ती। मान्यता है कि जिस घर में पारद लिंग होता है उस घर में रिद्धि-सिद्धि और लक्ष्मी का वास होता है। साक्षात भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
पारद शिवलिंग के चमत्कार
- सभी प्रकार के वास्तु दोष पारद लिंग की स्थापना से दूर हो जाते हैं।
- पारद शिवलिंग का अभिषेक करने पर बड़े से बड़े तांत्रिक प्रयोग भी नष्ट हो जाते हैं।
- शिव महापुराण के अनुसार पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से मनुष्य को अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तीन तरह से होती है, असली पारद शिवलिंग की पहचान
1.असली पारद शिवलिंग को हथेली पे घिसा जाये तो किसी किस्म की कालिख या काली रेखाए नहीं आती।
2. जब असली पारद शिवलिंग को जल में रख कर धूप में रखा जाता है तो कुछ समय बाद पारद शिवलिंग पर शुद्ध स्वर्ण जैसी आभा आ जाती है।
3.अगर लैब में टेस्ट करवाने पर टेस्ट रिपोर्ट में जस्ता (zinc), सिक्का (lead) और कलई (tin) ये धातुएं आ जायें तो पारद शिवलिंग नकली और दोषयुक्त होता है, क्योंकि रसशास्त्र में इन धातुओं को पारद के दोष कहा गया है। असली और प्रमाणिक पारद शिवलिंग बनाने के लिए पारद को इन धातुओं से मुक्त करना होता है, पारद का पाँचवा संस्कार (पातन संस्कार) इन धातुओं से पारद को पूर्णतः मुक्त करने के लिए ही किया जाता है।
अगर आप में आत्मविश्वास की कमी है…
अगर आप में आत्मविश्वास की कमी है। सार्वजनिक रूप से खुलकर अपनी बात नहीं रख पाते हैं लोग आपको दब्बू की संज्ञा देते हैं तो आपको नियमित रूप से पारद शिवलिंग की पूजा करना चाहिये। इससे मस्तिष्क को उर्वरता प्राप्त होती है। वाक् सिद्धि प्राप्त होती है। हजारों लोगों को अपनी वाणी से सम्मोहित करने की क्षमता (Ability To Hypnotize) आ जाती है।
लक्ष्मी की प्राप्ति के लिये
लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए पारद के शिवलिंग की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। आर्थिक संकटों से मुक्ति के लिए किसी भी माह में प्रदोष के दिन पारद के शिवलिंग की षोडशोपचार पूजा करके शिव महिम्नस्तोत्र से अभिषेक करें। फिर हर दिन पूजन करते रहें, कुछ ही समय में आर्थिक स्थिति ठीक होने लगती है। कर्ज मुक्ति होती है।
पारा समस्त रोगों की दवा के रूप में भी काम करता है। खासकर डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियों में पारे के शिवलिंग का अभिषेक करके उसके पानी को पीने की सलाह दी जाती है लेकिन पहले जान ले कि जो पारा आपके पास है कही वो विषैली धातुओं से युक्त तो नहीं है।
जिस घर में पारद से बना शुद्ध शिवलिंग मौजूद हो वहां नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती। परिवार में अशांति हो, सदस्यों के बीच मतभेद हों, लड़ाई-झगड़े हों वे पारद शिवलिंग के स्थापना मात्र से दूर हो जाती है।
पारद शिवलिंग: इसके दर्शन मात्र से मिल सकता है 12 ज्योतिर्लिंग पूजन का फल
करोड़ों शिवलिगों की पूजा से जो फल प्राप्त होता है। उससे भी करोड़ गुणा फल पारद शिवलिंग पूजा से मिलता है। माना जाता है इस शिवलिंग को छूने मात्र से मुक्ति प्राप्त होती है। गौहत्या का पाप भी दूर होता है।
पारद शिवलिंग की भक्तिभाव से पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है।
धर्म शास्त्रों में पारद शिवलिंग को साक्षात् भगवान शिव का स्वरूप बताया गया है। पारद शिवलिंग की स्थापना और पूजा की जाये तो व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो सकती है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, सभी मनोरथ की प्राप्ति होती है। पारद शिवलिंग की भक्तिभाव से पूजा करने से संतान की प्राप्ति (Procreation) होती है। 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन जितना फल पारद शिवलिंग के दर्शन से मिलता है। ये शिवलिंग शुद्ध पारे से बना होता है। पारद शिवलिंग को किसी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है। इसके दर्शन मात्र से ही व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। कहा जाता है जो लोग पारद शिवलिंग की पूजा करते हैं उनकी रक्षा खुद महाकाल और महाकाली करते हैं। पुराणों के अनुसार इस शिवलिंग के बारे में कहा गया है कि इसमें संपूर्ण ब्रह्माण्ड का ज्ञान है।
मंत्र-
लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं संम्यगर्चनात्।
तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद् भवेत।
ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च।
तत्क्षणद्विलयं यान्ति रसलिंगस्सय दर्शनात्।
स्पर्शनात्प्राप्यत मुक्तिरिति सत्यं शिवदितम्।।
इसका अर्थ है कि करोड़ों शिवलिगों की पूजा से जो फल प्राप्त होता है। उससे भी करोड़ गुणा फल पारद शिवलिंग पूजा से मिलता है। माना जाता है इस शिवलिंग को छूने मात्र से मुक्ति प्राप्त होती है। गौहत्या का पाप भी दूर होता है।