‘न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): आज शहीद दिवस (Shaheed Diwas) के मौके पर ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ कर मोदी सरकार ने शहीदों को मज़ाक उड़ाया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के ट्विट हैंडल @MIB_India से शहीदी दिवस के मौके पर #AmritMahotsav के साथ एक वीडियो पोस्ट किया गया। वीडियो में बताया गया कि सुखदेव को लेजेस्टेटिव असेंबली में बम फेंकने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था। जबकि सच्चाई ये है कि 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली हॉल में बम भगतसिंह (Bhagat Singh) और बटुकेश्वर (Batukeshwar Dutt) दत्त ने फेंका था। राजगुरू (Rajguru) और सुखदेव (Sukhdev) पहले से ही सांडर्स हत्यारकांड में लाहौर जेल में सज़ायाफ्ता थे। लंबी सुनवाई के बाद बटुकेश्वर दत्त को 1938 में रिहाई मिल गयी थी।
मामला तब सामने आया जब यूजर्स ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information & Broadcasting) के इस ट्विट पर प्रतिक्रिया दी। एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि मेरी जानकारी के मुताबिक लाहौर षड्यन्त्र केस के तहत सुखदेव पहले से ही गिरफ्तार थे, जबकि असेंबली में बम भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने फेंका था।
मामला सामने आने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने ये ट्विट आनन-फानन में हटा लिया। ये कवायद होने से पहले ही मंत्रालय के अधिकारियों की ये करतूत लाखों लोगों तक पहुँच चुकी थी। ऐसे में इस मामले को मानवीय त्रुटि नहीं माना जा सकता। अगर ये किसी तरह की गलत होती तो इस पर स्पष्टीकरण और माफी काफी पहले आ चुकी होती। वीडियो और ट्विट का हटाया जाना दिखाता है कि मंत्रालय के अधिकारी किस कदर अपने काम को लेकर लापरवाह है। वीडियो में इतिहास से जुड़ी इतनी बड़ी तथ्यात्मक गलत जानकारी अपने आप में काफी गंभीर मामला है।
गौरतलब है कि मंत्रालय के अधिकारी एसएससी और यूपीएससी की परीक्षा पास करके मोटी तनख्वाहों पर नौकरी कर रहे है। प्रतियोगी परीक्षा पास करने के दौरान वे इतिहास की पढ़ाई करते है, आखिर क्या कारण है कि मंत्रालय में नौकरी मिलते ही उनकी बुद्धि कुंद पड़ जाती है। दूसरी तरफ मोदी सरकार की बुनियाद राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर टिकी हुई है। ऐसे में अगर उनके अधिकारी भारत के इतिहास का मखौल उड़ाते है तो, ये अपने आप में बड़ी बात है। अब देखना दिलचस्प रहेगा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर संबंधित अधिकारी को तलब करते है या मामला यूं ही आया-गया कर दिया जायेगा।