न्यूज़ डेस्क (अमिता थापा): मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल आज पूरा हो रहा है। ऐसे में बीजेपी (BJP) ने सरकार की उपलब्धियों को घर घर तक पहुंचाने के लिए मेगा कार्यक्रम (Mega show) बनाया है। आम जनता से डिजिटल माध्यम (Digital medium) के जरिए संपर्क किया जाएगा लेकिन उससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम खुला खत (open letter) लिखा जिसमें उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में साथ देने के लिए जनता को शुक्रिया कहा है।
पीएम मोदी ने लिखा, ” पिछले साल इस दिन, कई दशकों के बाद, देश के लोगों ने पूर्ण बहुमत के साथ पूर्ण सरकार का समर्थन किया। एक बार फिर, मैं भारत के 130 करोड़ लोगों और हमारे राष्ट्र के लोकतांत्रिक व्यवस्था (Democratic system) को नमन करता हूं। आपके स्नेह, सद्भावना और सक्रिय सहयोग ने नई ऊर्जा और प्रेरणा दी है। सामान्य समय के दौरान मैं आपके बीच में होता, हालांकि, वर्तमान परिस्थितियां (Current conditions) इसकी इजाजत नहीं देती हैं। इसीलिए मैं इस पत्र के माध्यम से आपका आशीर्वाद चाहता हूं।”
2014 से 2019 तक भारत का कद काफी बढ़ा। गरीबों की गरिमा को बढ़ाया गया। देश ने मुफ्त गैस बिजली कनेक्शन और स्वच्छता के लक्ष्य को हासिल किया और ‘सभी के लिए आवास’ सुनिश्चित करने की दिशा में प्रगति हुई। भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical strike) और एयर स्ट्राइक के माध्यम से अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। वहीं वन रैंक-वन पेंशन (One rank one pension), वन नेशन वन टैक्स- जीएसटी, किसानों के लिए बेहतर एमएसपी जैसी दशकों पुरानी मांगें पूरी हुई।
पीएम ने अपनी चिट्ठी में जीत का भी जिक्र किया है और जीत के बाद हर उस फैसले का भी जो 2014 से 2019 तक देश की सियासत और सरोकार से जुड़े रहे। आर्टिकल 370 (Article 370) पर फैसला हो, ट्रिपल तलाक या फिर राम मंदिर (Ram Temple) ऐसे कई फैसले हैं जिसके बाद देश में विकास की दिशा और समाज का स्वरूप बदलता चला गया।
पीएम मोदी ने कहा, “पिछले एक साल में, कुछ फैसलों पर व्यापक रूप से चर्चा हुई और कुछ सार्वजनिक चर्चा (Public discussion) में बने रहे। आर्टिकल 370 ने राष्ट्रीय एकता (National Integration) और एकीकरण की भावना को आगे बढ़ाया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय (Honorable Supreme Court) की ओर से सर्वसम्मति से दिया गया राम मंदिर का फैसला, सदियों से चली आ रही बहस का सौहार्द्रपूर्ण अंत (Amicable end) लेकर आया। ट्रिपल तलाक की बर्बर प्रथा को इतिहास के कूड़ेदान तक सीमित कर दिया गया। नागरिकता अधिनियम में संशोधन भारत की करुणा और समावेश की भावना की अभिव्यक्ति थी।