नई दिल्ली (क्षे.सं.): एकाएक लॉकडाउन (Lockdown) होने से दिल्ली में रह रहे प्रवासी दिहाड़ी मजदूरों पर आफतों का पहाड़ टूट पड़ा है। पूर्वांचल और बिहार के मजदूरों का आनंद विहार बस अड्डे पर तांता लगा हुआ है। रोजगार खत्म होने से मजदूरों को दो जून की रोटी के भी लाले पड़ गये है। जेब खाली होने की वज़ह से कई मजदूरों के मकान मालिकों ने उन्हें घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। बहुत से मजदूरों के ठेकेदार बेहद मामूली सी रकम देकर उनसे पिंड छुड़ा रहे है। दिल्ली के बदरपुर बॉर्डर से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के रहने वाले मजदूर पैदल ही अपने घरों की ओर कूच कर रहे है। रास्ते में पुलिस वालों की बेहरहमी से भी मजदूरों को दो-चार होना पड़ रहा है। दिल्ली के तकरीबन सभी बॉर्डरों पर भीड़भाड़ और आपाधापी का माहौल बना हुआ है। भरी दुपहरी में भूखे-प्यासे और खाली जेब फटेहाल कई सौ किलोमीटर पैदल चलने के लिए ये मजदूर बेबस है।
इन हालातों के मद्देनज़र ट्विटर पर #ModiMadeDisaster और #ArrestKejariwal पर Trend कर रहा है। Netizens दोनों से जानना चाहते है कि, आखिर इन हालातों के लिए कौन जिम्मेदार है। लोग सवाल उठा रहे है कि, आखिर 4 घंटे के अल्टीमेटम पर लॉकडाउन करने का फैसला कहां तक सही था। Lockdown की Policy बनाते समय आखिर इन लोगों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया गया। कहीं ना कहीं ये अपने आप में बड़ी प्रशासनिक चूक है। गृह मन्त्रालय ने इन मजदूरों के रहने-खाने को लेकर आदेश जारी किया थे। उस आदेश पर सख़्ती से अमल क्यों नहीं हुआ। अगर इन नाज़ुक हालातों में मोटी तनख़्वाहें पाने वाले देश के प्रशासनिक अधिकारी अपना काम ढ़ंग से नहीं करेगें तो कब करेगें। उभर रहे हालात वाकई में गंभीर सवाल खड़े कर रहे है कि, मोदी सरकार का ये फैसला कहीं भारी गलती तो नहीं।
Twitter पर इन हालातों के लिए अरविंद केजरीवाल को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। आखिर उन्होनें स्थिति पर काबू पाने के लिए किया क्या है? आम आदमी पार्टी की ओर से दावा किया जा रहा है कि, दिल्ली सरकार ने दिहाड़ी मजदूरों के रहने के लिए सरकारी स्कूलों के दरवाज़े खोल दिये है। साथ ही दिल्ली सरकार की ओर से 4 लाख मजदूरों के खाने-पीने का प्रबंध किया जा रहा है। अगर दिल्ली सरकार का ये दावा सही है तो मजदूर दिल्ली से इतनी भारी तादाद में पलायन क्यों कर रहे है ? इन्हीं वज़हों से ट्विटर पर #ModiMadeDisaster और #ArrestKejariwal कर रहा है।
अब सवाल ये उठता है कि, क्या State Machinery Collapses हो गयी है ? क्या देश का Civil Administration इतना नाकाबिल है कि, उसे होने वाले हालातों के बारे में ज़रा सा भी अन्दाज़ा नहीं था। अगर Emergency की स्थिति में प्रशासन अपने उच्चतम स्तर पर काम नहीं कर पा रहा है तो इसका ज़िम्मेदार कौन है ?
अधिकारियों की कामचोरी का ठीकरा पीएम मोदी और सीएम केजरीवाल पर फोड़ना कहां तक उचित है ?