न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): हाल ही में यूके के नॉर्थ वेल्स से मंकीपॉक्स बीमारी (Monkeypox Disease) की खब़र सामने आयी है। इस जूनोटिक बीमारी की पुष्टि पब्लिक हेल्थ वेल्स ने की। इस बीमारी से जुड़े मरीज एक ही घर के बताये जा रहे है। स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक ने गुरुवार (10 जून 2021) को संसद में स्वास्थ्य और सामाजिक चयन समिति में सांसदों को संबोधित करते हुए मंकीपॉक्स के फैलने की पुष्टि की।
हालांकि पीएचडब्ल्यू में स्वास्थ्य सुरक्षा सलाहकार रिचर्ड फर्थ ने अपने बयान में कहा कि, बीमारी पर वक़्त रहते लगाम कसने के लिये निगरानी और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का काम जारी है। इससे आम जनता के लिए जोखिम बहुत कम है। फर्थ ने कहा कि बीमारी की रोकथाम करने के लिये हम कई सहयोगी एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे है। इस दौरान टेस्टिंग के लिये तमाम प्रोटोकॉल और मेडिकल प्रोसिज़र (Protocols and Medical Procedures) का पालन किया जा रहा है। जो लोग बीमारी की चपेट में आ रहे है उन करीबी सम्पर्क में आने वाले लोगों की लगातार पहचान की जा रही है।
क्या है Monkeypox बीमारी?
39 सालों में पहली बार साल 2017 के दौरान नाइजीरिया में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था। तब से नाइजीरिया में इसके छिटपुट मामले सामने आते रहे है। हालांकि इसका कम संक्रमण चेचक बीमारी के मुकाबले कम गंभीर है।
ये है Monkeypox बीमारी के लक्षण
सीडीसी के मुताबिक वायरस के सम्पर्क में आने के 12 दिनों के बाद व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान महसूस होने लगती है। वायरस संपर्क में आने के तीन दिन बाद बुखार के साथ शरीर पर चकत्ते बनने लगते है। ये चकत्ते तेजी से पूरे शरीर में फैलने लगते है। साथ ही इनमें तेजी खुजली होती है। बीमारी बढ़ने के साथ चकत्ते पर पपड़ी जम जाती है। पकने के बाद ये शरीर से गिर जाती है। जिससे शरीर पर घावों जैसे निशान पड़ जाते है। बीमारी और इसके लक्षण 2 से 4 हफ़्ते तक बने रहते है। धीरे –धीरे बीमारी अपने आप कम होने लगती है।
कैसे फैलता है Monkeypox
ये वायरस चूहों गिलहरी, डॉर्मिस, बंदरों और मनुष्यों से फैल सकता है। वायरस को किसी इलाके में तेजी से फैलने के लिये वाहक की जरूरत होती है। अगर कोई व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, बिस्तर, छींक, लार या थूक के सम्पर्क में आता है तो इस बात की पुख़्ता संभावना है कि वायरस उसके शरीर पर असर कर सकता है।
ये है Monkeypox का इलाज़
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (Centers for Disease Control and Prevention-CDC) के मुताबिक इस बीमारी का कोई खास इलाज नहीं है। हालांकि इस पर चेचक के टीके सिडोफोविर, एसटी-246 और वैक्सीनिया इम्यून ग्लोब्युलिन (वीआईजी) से काबू पाया जा सकता है।