50 फीसदी से ज़्यादा भारतीय राजनेता दागी

माननीय सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने साल 2018 में भी यही सवाल पूछा था। जिसके बाद मौजूदा सरकार ने राजनीतिक दलों (Political parties) में आपराधिक पृष्ठभूमि (Criminal background) वाले उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड (criminal record) का खुलासा, चुनाव से पहले करने के सर्वोच्च न्यायालय के सुझाव को दरकिनार कर दिया था। और कहा कि ये पूरी तरह से संसदीय मामले (Parliamentary affairs) से जुड़ा मसला है, इसीलिए इससे हम ही निपटेगें। हिन्दुस्तानी सियासत में 50 फीसदी से ज़्यादा सियासतदानों पर जुर्म (Crime) करने और गैरकानूनी कामों (Illegal acts) में शामिल होने के इल्ज़मात है।

पढ़ेः- Supreme Court: सभी पार्टी अपने उम्मीदवारों की अपराधिक सोशल मीडिया पर डाले

बलात्कार, हत्या और जबरन वसूली जैसे संगीन मामलों में इन लोगों का हाथ होता है। बेशक इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की चिंता ज़ायज है, लेकिन व्यवस्था में घुसी जोकें इसे मुमकिन नहीं होने देगी। ये देखना काफी दिलचस्प होता है कि, कैसे कानून की धज़्जियां उड़ाने वाला अपने जैसे दूसरे किसी के लिए कानूनी दायरे (Legal scope) बनाता है। या ना सिर्फ भारतीय न्यायिक व्यवस्था (Indian judicial system) का मखौल है बल्कि उन मतदाताओं (Voters) में मुँह पर भी करारा तमाचा है, जो जानबूझकर ऐसे लोगों को वोट देते है। याद रखे सिर्फ जिम्मेदार नागरिक (Responsible citizen) के पास ही बदलाव लाने की ताकत होती है। ऐसे में आप उस देशभक्त (Patriot) के साथ खड़े हो, जो बदलाव ला सकता है, जो देश की एकता कायम रख सकता है। ना किसी अपराधी के साथ जो देश तोड़ने का काम करता हो, जो आने वाली नस्लों का कल अंधेरे में धकेला रहा हो।

https://www.linkedin.com/posts/capt-gs-r-6b125217_supreme-court-provide-reasons-for-fielding-activity-6633645256749481984-vxUF

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More