चौंसठ योगिनी (Sixty Four Yogini) का उल्लेख पुराणों में मिलता है। जिनकी अलग अलग कहानियां है। इनको आदिशक्ति मां काली का अवतार बताया गया है। कहा जाता है घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए माता ने ये अवतार लिए थे। ये भी माना जाता है कि ये सभी माता पार्वती की सखियां हैं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण (Brahmavaivarta Purana) में भी इन योगिनियों का वर्णन है लेकिन इस पुराण के अनुसार ये 64 योगिनी कृष्ण की नासिका के छेद से प्रगट हुई है। इनकी संख्या 64 होने के पीछे भी कुछ तथ्य हैं। स्त्री के बिना पुरूष अधूरा है, वही पुरुष के बिना स्त्री अधूरी है। एक संपूर्ण पुरुष 32 कलाओं से युक्त होता है, वही एक संपूर्ण स्त्री भी 32 कलाओ से युक्त होती है, दोनों के मिलन से बनते है 32 + 32 = 64, तो ये माना जा सकता है 64 योगिनी शिव और शक्ति जो सम्पूर्ण कलाओं से युक्त हैं उनके मिलन से प्रगट हुई हैं।
दूसरा मत ये है कि 4 काली कुल की और 4 श्री कुल की महाविद्या और दो जिनके बारे में हम पहले बता चुके है, वो दोनों दोनों कुलों में है, जब 6 और 4 को जोड़ेंगे तो 10 बनेगी जो की दस महाविद्या होंगी। चन्द्रमा जो मन का प्रतीक है जिसकी 16 कलायें है जो हमारी आयु की चरों अवस्थों में भिन्न भिन्न होती है। आदि गुरु के चार मठ और हमारे चार युग सोलह संस्कारो के साक्षी रहे है।
हर दिशा में 8 योगिनी फ़ैली हुई है, हर योगिनी के लिये एक सहायक योगिनी है, हिसाब से हर दिशा में 16 योगिनी हुई तो 4 दिशाओ में 16 × 4 = 64 योगिनी हुई। 64 योगिनी 64 तन्त्र की अधिष्ठात्री देवी (Goddess Of The Tantra) मानी जाती है। एक देवी की भी कृपा हो जाये तो उससे संबंधित तन्त्र की सिद्धि मानी जाती है।
चौसठ योगिनियों की पूजा करने से सभी देवियों की पूजा हो जाती है। इन चौंसठ देवियों में से दस महाविद्यायें और सिद्ध विद्याओं की भी गणना की जाती है। ये सभी आद्या शक्ति काली के ही भिन्न-भिन्न अवतार रूप हैं। कुछ लोग कहते हैं कि समस्त योगिनियों का संबंध मुख्यतः काली कुल से हैं और ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं।
समस्त योगिनियां अलौकिक शक्तिओं (Supernatural Powers) से सम्पन्न हैं और इंद्रजाल, जादू, वशीकरण, मारण, स्तंभन इत्यादि कर्म इन्हीं की कृपा द्वारा ही सफल हो पाते हैं। सही मायने में आधुनिक विज्ञान का आधार यहीं है दुर्भाग्य से लोगो ने इसे समझने के बजाये टोने-टोटकों से जोड़ दिया। प्रमुख रूप से आठ योगिनियां हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं:-
1. सुर-सुंदरी योगिनी
ये अत्यंत सुंदर शरीर सौष्ठव अत्यंत दर्शनीय होती है। इनकी साधना एक मास तक साधना की जाती है। प्रसन्न होने पर ही सुर सुंदरी योगिनी सामने आती हैं तथा साधक इन्हें माता, बहन या पत्नी कहकर संबोधन कर सकते हैं। इनकी सिद्धि से राज्य, स्वर्ण, दिव्यालंकार (Divyalankar) तथा दिव्य कन्याएं तक की प्राप्ति होती हैं।
2. मनोहरा योगिनी
इस योगिनी की वेशभूषा विचित्र होती है। ये अत्यंत सुंदर होती हैं तथा इसके शरीर से सुगंध निकलती है। एक मास भर की साधना करने पर ये प्रसन्न हो जाती हैं। इनकी सिद्धि से साधक को प्रतिदिन स्वर्ण मुद्राएं प्राप्त होती हैं।
3. कनकवती योगिनी
ये योगिनी रक्त वस्त्रालंकार से भूषित रहती हैं और सिद्धि के बाद अपनी परिचारिकाओं के साथ आकर वांछित कामना पूर्ण करती हैं।
4. कामेश्वरी योगिनी
इनका जप भी रात्रि में मास भर किया जाता है। पुष्पों से सज्जित देवी प्रसन्न होकर ऐश्वर्य, भोग की वस्तुएं प्रदान करती हैं।
5. रति सुंदरी योगिनी
स्वर्णाभूषण से सज्जित देवी महीने भर की साधना के पश्चात प्रसन्न होकर अभीष्ट वर प्रदान करती हैं तथा सभी ऐश्वर्य, धन और वस्त्रालंकार देती हैं।
6. पद्मिनी योगिनी
इस योगिनी का वर्ण श्याम है। ये देवी वस्त्रालंकार से युक्त, मास भर साधना के बाद प्रसन्न होकर ऐश्वर्यादि प्रदान करती हैं।
7. नटिनी योगिनी
अशोक वृक्ष के नीचे रात्रि में साधना कर के इस योगिनी को सिद्ध किया जा सकता है। इनकी प्रसन्नता प्राप्त कर अपने सारे मनोरथ पूर्ण किये जा सकते हैं।
8. मधुमती योगिनी
शुभ्र वर्ण वाली ये योगिनी अति सुंदर विविध प्रकार के अलंकारों से विभूषित होती हैं। साधना के पश्चात सामने आकर किसी भी लोक की वस्तु प्रदान करती हैं। इनकी कृपा से पूर्ण आयु तथा अच्छा स्वास्थ्य और राज्याधिकार प्राप्त होता है।
चौंसठ योगिनियों के नाम इस प्रकार हैं – 1.बहुरूप, 3.तारा, 3.नर्मदा, 4.यमुना, 5.शांति, 6.वारुणी 7.क्षेमंकरी, 8.ऐन्द्री, 9.वाराही, 10.रणवीरा, 11.वानर-मुखी, 12.वैष्णवी, 13.कालरात्रि, 14.वैद्यरूपा, 15.चर्चिका, 16.बेतली, 17.छिन्नमस्तिका, 18.वृषवाहन, 19.ज्वाला कामिनी, 20.घटवार, 21.कराकाली, 22.सरस्वती, 23.बिरूपा, 24.कौवेरी, 25.भलुका, 26.नारसिंही, 27.बिरजा, 28.विकतांना, 29.महालक्ष्मी, 30.कौमारी, 31.महामाया, 32.रति, 33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38. वीर कुमारी, 39. माहेश्वरी, 40.अम्बिका, 41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी, 49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी, 51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता, 61.सूर्यपुत्री 62.वायु वीणा, 63.अघोर और 64. भद्रकाली।
64 योगिनियों के भारत में कई प्रमुख मंदिर है। दो मंदिर उड़ीसा में भुवनेश्वर के निकट हीरापुर तथा बोलनगीर के निकट रानीपुर में स्थित हैं जबकि मध्यप्रदेश में एक मंदिर मुरैना जिले के थाना रिठौराकलां में ग्राम पंचायत मितावली में है। इसे ‘इकंतेश्वर महादेव मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा एक दूसरा मंदिर खजूराहो में स्थित है। 875-900 ई. के आसपास बना ये मंदिर खजुराहो (Khajuraho) के मंदिरों के पश्चिमी समूह में आता है। इसके अलावा एक अन्य मध्य प्रदेश में जबलपुर के निकट भेड़ाघाट, ग्वालियर के निकट मितावली में स्थित है।