Mulayam Singh Yadav: पंचतत्वों में विलीन हुए ‘नेताजी’, गमगीन हुई सैफई की जमीन

न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): समाजवादी पार्टी के संस्थापक और दिग्गज समाजवादी मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का आज (11 अक्टूबर 2022) उत्तर प्रदेश के इटावा जिले (Etawah District of Uttar Pradesh) के उनके पैतृक गांव सैफई (Village Saifai) में अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के दौरान “नेताजी अमर रहे” के नारे लगातार गूंजते रहे। बूंदाबांदी के बीच उनके अंतिम दर्शन के लिये लोगों की भारी भीड़ कतारों में खड़ी दिखी।

इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को सोमवार शाम सैफई लाया गया। जहां लोग “नेताजी” को अंतिम सम्मान देने के लिये उमड़े। मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर को मंगलवार सुबह करीब 10 बजे उनके घर से करीब एक किमी दूर मेला ग्राउंड परिसर में एक बड़े हॉल में ले जाया गया, ताकि लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकें।

इस मौके पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रमोद तिवारी, तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू और भाजपा नेता रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) मौके पर मौजूद थी। नेताजी का पार्थिव शरीर सैफई मेला ग्राउंड के पंडाल में पंचतत्वों में विलीन हुआ। अखिलेश यादव, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और पीएसपी प्रमुख शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने उन्हें भवभीनी विदाई दी।

समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) अपने आंसू नहीं रोक पाये क्योंकि वो नेता जी के पार्थिव शरीर के बेहद पास खड़े थे। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे यादव, उन्होनें सूबे के सबसे कद्दावर सियासी परिवार की नींव रखी थी। लंबी बीमारी के बाद सोमवार (10 अक्टूबर 2022) को उनका निधन हो गया। उन्हें अगस्त में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital, Gurugram) में भर्ती कराया गया था और 2 अक्टूबर को उन्हें इंटेसिव केयर यूनिट (ICU- Intensive Care Unit) में रेफर कर दिया गया था।

शानदार शख्सियत और बेमिसाल नेता मुलायम सिंह यादव

22 नवंबर 1939 को किसान परिवार में जन्मे मुलायम सिंह यादव 10 बार विधायक और सात बार मैनपुरी और आजमगढ़ (Mainpuri and Azamgarh) से सांसद चुने गये। वो एचडी देवेगौड़ा (HD Deve Gowda) की संयुक्त मोर्चा सरकार में 1996 से 1998 तक रक्षा मंत्री रहे और 1989-91, 1993-95 और 2003-07 में तीन बार उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बने।

दशकों तक उनका सियासी कद राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में शुमार रहा। उत्तर प्रदेश काफी हद तक अखाड़े जैसा रहा जहां नेता जी ने समाजवादी नेता लोहिया की तैयार जमीन पर अपनी राजनीति की शुरुआत की। अपनी जवानी के दिनों में वो कुशल पहलवान रहे। सपा अध्यक्ष ना रहने के बावजूद भी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच उनका रसूख और दबदबा कायम रहा। कई कलह और मतभेदों के बीच उन्होनें आखिरी सांसों तक उन्होनें यादव परिवार को बांधे रखा। उनकी वैचारिक जमीन लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, चरण सिंह की भारतीय क्रांति दल, भारतीय लोक दल और समाजवादी जनता पार्टी ने सिलसिलेवार तरीके से तैयार की।

उन्होंने साल 1992 में अपनी खुद की पार्टी सपा की स्थापना की। मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश में उनके नेतृत्व वाली सरकार बनाने या बचाने के लिये बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के साथ राजनीतिक सौदे भी किये। साल 2019 में उन्होनें सबको चौंकाते हुए कहा कि वो एक बार फिर संसद में मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते है। इसके साथ ही उन्होनें खुले दिल से पीएम मोदी के तारीफ भी सदन में की, बावजूद इसके की उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मोदी की भाजपा और सपा के बीच सीधी आमने-सामने की राजनीतिक टक्कर थी।

ठीक इसी तरह चौंकाते हुए उन्होनें बलात्कारियों के लिये मौत की सजा के खिलाफ बोलते हुए कहा था कि “लड़के है, लड़कों से गलती हो जाती हैं” उनका ये बयान उनकी छवि के एकदम उलट था। उनका मानना था कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश (Pakistan and Bangladesh) को एक संघ बनाना चाहिये। बतौर विधायक मुलायम सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने आपातकाल की घोषणा की और मुलायम सिंह यादव समेत कई विपक्षी नेताओं की तरह जेल भेज दिया गया।

साल 1989 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने से पहले यादव यूपी विधान परिषद और फिर राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता थे, भाजपा ने उनकी जनता दल सरकार को बाहरी समर्थन दिया था।

साल 1990 में जब भगवा पार्टी ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि (Babri Masjid-Ram Janmabhoomi) मुद्दे पर समर्थन वापस ले लिया तो कांग्रेस ने कुछ महीनों तक उनकी सरकार को बचाये रखा। नवंबर 1993 में यादव ने फिर से बसपा के समर्थन से उत्तर प्रदेश में सरकार का नेतृत्व किया। 1996 में मैनपुरी से लोकसभा के लिये चुने जाने के बाद सपा नेता का कद राष्ट्रीय स्तर पर पहुँच गया।

जैसे ही विपक्षी दलों ने कांग्रेस के लिये एक गैर-भाजपा विकल्प बनाने की कोशिश की, मुलायम सिंह यादव कुछ समय के लिये प्रधान मंत्री पद के लिये मैदान में दिखाई दिये, लेकिन वो रक्षा मंत्री बन गये। सास 2003 में वो बसपा-भाजपा गठबंधन सरकार के पतन के बाद तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

सपा फिर साल 2012 में उत्तर प्रदेश की सरकार बनाने की स्थिति में थी, लेकिन मुलायम सिंह यादव ने एक तरफ कदम बढ़ाया ताकि उनका बेटा अखिलेश 38 साल की उम्र में राज्य का सबसे कम उम्र का सीएम बन सके। पार्टी और परिवार में कलह के कारण 2017 में अखिलेश यादव ने तख्तापलट किया। अपने जीवन के आखिरी सालों में बीमार नेताजी ने पार्टी के मामलों में कम भूमिका निभायी, जिसे उन्होंने अपनी वैचारिकता से सींचा था।

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