देशभर में जिस तरह से CAA, NRC और NPR का विरोध चल रहा है। उसे देखकर लगता है कि मुस्लिम समुदाय का भाजपा से मोहभंग हो गया है। जिस तरह से 2019 के आमचुनावों से पहले तीन तल़ाक बिल की अवधारणा लाकर मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं का वोट हासिल किया था। अब सीएए कानून के मसौदे के चलते वो वोटबैंक खिसकने के कगार पर दिख रहा है। मुस्लिम समुदाय के बीजेपी मोहभंग की कवायद मध्य प्रदेश के इंदौर से शुरू हो चुकी है।
मोहभंग की इस कवायद के तहत, नागरिकता कानून और आने वाले एनआरसी कानून पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए मध्य प्रदेश भाजपा के तकरीबन 76 मुस्लिम कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया। बीजेपी छोड़ने वालों में ज़्यादातर लोग खरगोन देवास और इंदौर से थे। जो भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे से जुड़े हुए बताये जा रहे है।
मध्य प्रदेश भाजपा के नेता रजिक फरशीवाला के मुताबिक- भाजपा के लिए मुस्लिम समुदाय के लोगों को तैयार करना बेहद ही मुश्किल काम था। कड़ी मशक्कत के बाद हमने मुस्लिम समाज के लोगों का वोट भाजपा के पक्ष में डलवाया। मौजूदा दौर में केन्द्रीय नेतृत्व जिस तरह से बेलगाम कानून ला रहा है, उससे हमारी मुश्किलें बहुत ज़्यादा बढ़ गयी है। इसके साथ ही समुदाय में हमारी खुद की विश्वसनीयता भी खतरे में पड़ती जा रही है।
भाजपा के मुस्लिम पदाधिकारियों का पक्ष रखते हुए उन्होनें आगे कहा- हमने पार्टी के सीनियर मेम्बरान से दरख्व़ास्त की सीएए में मुस्लिमों को भी जोड़ा जाये, लेकिन हमारी गुज़ारिश की नज़र अन्दाज़ कर दिया गया। बिना शर्त हमने तीन तलाक और बाबरी मस्जिद-राम मंदिर केस पर भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व पर अपना भरोसा कायम रखा। लेकिन जिस तरह से आगे की कार्रवाइयों पर बात चल रही है, उसे लेकर हमारा भाजपा में रहना दूभर हो गया है।
केन्द्र सरकार के प्रस्तावित कानून अपने विचार रखते हुए रजिक फरशीवाला ने कहा- जनसंख्या नियंत्रण कानून और कॉमन सिविल कोड की बातें होने से पार्टी में रहना मुश्किल होता जा रहा है। अगर इसी तरह से हिंदू-मुस्लिम होता रहा तो, विकास के मुद्दों पर बात कब होगी। बच्चों को हायर एजुकेशन हासिल करने के मौके नहीं मिलेगें।
मध्य प्रदेश भाजपा से जुड़े एक पदाधिकारी के मुताबिक ये चिंता का विषय नहीं है। मध्य प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिन कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने इस्तीफा दिया है, उन्हें कोई महत्त्तवपूर्ण दायित्व नहीं सौंपा गया था।