नई दिल्ली (आबिद मकदूमी): कोरोना (Corona) संकट के दौरान केन्द्र सरकार को कई बड़े और अहम फैसले लेने पड़ रहे है। जिसके चलते कई पुरानी रवायतों को इस साल मजबूरन बदलना पड़ रहा है। जिसकी वज़ह से इस साल देशभर के सभी मुस्लिम हज़ करने की पाक रस्म से महरूम रह जायेगें। जिन दो लाख तेरह हज़ार लोगों ने हज़ (Haj) जाने के लिए आवेदन और पैसा जमा करवाया था। उन लोगों का पैसा बिना किसी कटौती के उनके खातों में तक वापस पहुँचा दिया जायेगा। जिन 2300 ख़्वातिनों ने बिना मेहरम हज़ करने के लिए फॉर्म जमा किया था। अब उन्हें मौजूदा कागज़ातों की बुनियाद पर अगले साल हज़ के लिए भेजा जायेगा।
कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Nakvi) के मुताबिक- जिन महिलाओं ने इस साल बिना मेहरम हज़ करने के लिए आवेदन जमा किया है, उन्हें भी अगले साल हज़ के लिए भेजा जायेगा। सरकार ने ये फैसला कोरोना के चलते लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर किया है। सऊदी के हुक्मरानों ने हमें इस साल हिन्दुस्तान से हज़ के लिए लोगों को ना भेजने की नसीहत दी है। भारत सरकार ने भी सऊदी की चिंताओं पर सहमति दर्ज करवायी, क्योंकि वहाँ भी कोरोना का कहर फैला हुआ है।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने साल 2019 का हवाला देते हुए कहा- साल 2019 के दौरान तकरीबन 2 लाख हिन्दुस्तानी मुसलमानों ने हज़ किया था। इनमें करीब-करीब 50 फीसदी महिलायें शामिल थी। केन्द्र सरकार ने साल 2018 के दौरान अहम फैसला लेते हुए मुस्लिम महिलाओं को मेहरम (बिना पुरूष अभिभावक/साथी) के बगैर हज़ करने की छूट दी थी। जिसके तहत अब तक 3,040 महिलायें हज़ कर चुकी है।
बीते मंगलवार देर रात सऊदी अरब के हज और उमराह मंत्रालय ने बयान जारी कर कह था कि, कोरोना वायरस के चलते भीड़ भरे आयोजन और बड़ी सभायें आयोजित करना मुमकिन नहीं है। इसके मद्देनज़र इस साल हज़ यात्रा का दायरा बेहद सीमित रहेगा। सऊदी में रहने वाले उन्हीं विदेशी मुस्लिम को हज़ करने की अनुमति होगी, जो पहले से यहां पर रह रहे हैं। पहले की तुलना में मोमिनों की संख्या बेहद कम रखी जायेगी। ताकि सोशल डिस्टेसिंग (social distancing) और कोरोना गाइडलाइंस (corona guidelines) का बेहतर तरीके से पालन हो सके। हालातों को देखते हुए आगे और भी एहतियातन कदम उठाये जा सकते है।