जिस तरह से उत्तरी पूर्वी दिल्ली में हिंसा, आगजनी पत्थरबाजी, गोलीबारी और दंगों का माहौल बना है। उसे देखते हुए इलाके के हालात पल पल में बदलते दिख रहे हैं। मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को समझते हुए गृहमंत्री अमित शाह की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय मीटिंग बुलाई गई जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित उपराज्यपाल अनिल बैजल भी शामिल थे। गृहमंत्री ने हालात सामान्य करने के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। दूसरी ओर मुख्यमंत्री केजरीवाल गृहमंत्री के रवैये से आश्वस्त दिखे। इस मीटिंग में दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को हिंसात्मक माहौल पर जल्द से जल्द काबू पाने के निर्देश दिए गए हैं। इस समय दिल्ली हाई अलर्ट मोड पर है, इसी के मद्देनजर हिंसा प्रभावित इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।
गृह मंत्रालय की समीक्षा बैठक में बताया गया कि, फिलहाल उत्तरी पूर्वी दिल्ली के हालात सामान्य हैं। लेकिन जिस तरह की खबरें हिंसा प्रभावित इलाकों से आ रही हैं, उसे देखकर लगता है कि हालात अभी भी नाजुक बने हुए हैं। इसी के चलते दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हाई अलर्ट घोषित किया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी पुलिस को शांति व्यवस्था कायम रखने के सख्त निर्देश जारी किए हैं।
दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें से एक दिल्ली पुलिस जवान भी शामिल है। और तकरीबन 108 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए हैं। गृह मंत्रालय की हाई लेवल मीटिंग में शामिल होने से पहले सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह दावा किया था कि, हिंसाग्रस्त इलाकों में तैनात पुलिस बल की संख्या बेहद कम है और साथी लाठीचार्ज हवाई फायर और किसी भी तरह की कार्रवाई करने की छूट नहीं है।
माना जा रहा है कि, इससे पहले दिल्ली में हिंसक माहौल तकरीबन 30 साल पहले सिख विरोधी दंगों में देखा गया था। गौरतलब है कि सीएए और एनआरसी कानून से एक समुदाय विशेष के लिए परेशानी का सब़ब बन रहा है। जबकि ये कानून सभी संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद बनाया गया। संवैधानिक विधि द्वारा स्थापित मान्यताओं के बावजूद भी इस कानून को लेकर विरोध होना कहीं ना कहीं समुदाय विशेष की संविधान के प्रति आस्था को लेकर प्रश्न चिन्ह लगाता है। उत्तर पूर्वी दिल्ली में खुलेआम गोली चलाने वाला शख्स भी इसी समुदाय से आता है। ऐसे में ये कयास लगने लाज़िमी हो जाते है कि, सीएए और एनआरसी का विरोध कट्टरता के रास्ते होता हुआ, देश में कहीं किसी नयी आंतकी तंजीम को जन्म ना देदे। समुदाय विशेष को ये सोचना चाहिए कि, असहमति होने पर संविधान हमें शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इज़ाजत देता है ना कि गोली चलाने की, ना ही दंगे फसाद फैलाने की और ना ही सड़कों पर कब़्जा करके रोजाना लाखों लोगों को परेशान करने की। अभी हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस्लामी आंतकवाद को दुनिया के खतरा बताया था। ऐसे में इन लोगों पर सख़्त लगाम कसने की जरूरत है।