एजेसियां/न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): Nagorno-Karabakh Issue: नागोर्नो-काराबाख के एक अलगाववादी नेता ने आज (28 सितंबर 2023) कहा कि 1 जनवरी से अलग हुए इलाके का वजूद खत्म हो जायेगा, क्योंकि अज़ेरी अधिकारी इस इलाकों को पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने की योजना बना रहे हैं। सामने आ रहा है कि 1 जनवरी, 2024 तक उनके विभागीय अधीनता के तहत सभी राज्य संस्थानों और संगठनों को भंग कर दिया जाये और नागोर्नो-काराबाख (आर्ट्सख) गणराज्य का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा।
नागोर्नो-काराबाख लंबे वक्त से जातीय अर्मेनियाई लोगों की ओर से नियंत्रित इलाके को आधिकारिक तौर पर अज़रबैजान (Azerbaijan) के हिस्से के रूप में मान्यता हासिल है। बीते दिसंबर 2022 में नये सिरे से संघर्ष की चिंता तब पैदा हुई जब अज़रबैजान ने एन्क्लेव तक एक अहम पहुंच मार्ग को रोक दिया, जिसे लाचिन कॉरिडोर (Lachine Corridor) के नाम से जाना जाता है।
बीते 20 सितंबर को 24 घंटे के युद्धविराम ने चल रही दुश्मनी को रोक दिया। इसके बाद अज़रबैजान और कराबाख अधिकारियों ने अज़रबैजान में एन्क्लेव को मिलाने के बारे में चर्चा शुरू की।
इसी क्रम में अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख के अलग हुए इलासे से एक अर्मेनियाई नेता को पकड़ लिया। रुबेन वर्दयान (Ruben Vardanyan) को गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उन्होंने हजारों अन्य जातीय अर्मेनियाई लोगों की तरह आर्मेनिया (Armenia) के लिये इलाका छोड़ने की कोशिश की थी, जिन्हें डर था कि उन्हें अज़ेरी अधिकारियों की ओर से प्रताड़ित किया जायेगा।
वर्दयान अर्मेनियाई व्यवसायी हैं, जिन्होंने नवंबर 2022 से इस साल फरवरी तक क्षेत्रीय सरकार की अगुवाई की। वर्दयान की पत्नी ने अब अलगाववादी नेता की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिये समर्थन जुटाने की अपील की है। मामले को लेकर वेरोनिका ज़ोनाबेंड (Veronica Zonabend) ने कहा कि, “रूबेन 10 महीने की नाकाबंदी के दौरान अर्साख लोगों के साथ खड़े रहे और उनके वजूद की लड़ाई में उनके साथ आगे बढ़कर संघर्ष किया।”
अजरबैजान की ओर से जारी एक बयान में कहा कि वो काराबाख में हथियार डालने वाले अर्मेनियाई लड़ाकों को माफी देने को तैयार हैं। इससे पहले बाकू ने पहले कहा था कि वो सक्रिय रूप से युद्ध अपराध के संदिग्धों की लगातार तलाश कर रहे हैं।
हालांकि इस इलाके में रहने वाले 120,000 जातीय अर्मेनियाई लोगों में से कई अपने भविष्य को लेकर खासा चिंता ज़ाहिर कर रहे हैं। इसी क्रम में आर्मेनिया के प्रधान मंत्री ने जातीय नरसंहार की शुरुआत का आरोप लगाया है।
हाल के हफ्ते की लड़ाई में काराबाख अधिकारियों ने कम से कम 200 लोगों के जख्मी होने की जानकारी दी, जबकि अजरबैजान ने कहा कि उसके 192 सैनिकों की जान चली गयी।
पश्चिमी सरकारें अज़रबैजान से अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को काराबाख में हालातों और स्थानीय आबादी के इलाज की निगरानी करने की मंजूरी देने की गुजारिश कर रही हैं। बीते मंगलवार (26 सितंबर 2023) को जर्मनी (Germany) भी इस फेहरिस्त में शामिल हो गया, जहां विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक (Annalena Bareback) ने पारदर्शिता की वकालत की।