क्या शर्म और बेहयाई है। सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General) के मुताबिक “ये इन बातों के लिए माकूल वक़्त नहीं है। एफआईआर (FIR) दर्ज करने के लिए निर्धारित समय-सीमा होती है” क्या यह बेवकूफ समझा सकता है कि सही हालात क्या है? सियासी गुंडे (Political goons) भीड़ (Mob) को भड़का रहे है ताकि लोगों की जान और माल पर बुरी तरह हमला किया जा सके। लोग जान जाने के डर से दिल्ली छोड़कर भाग रहे है, इन लोगों को लगता है कि हालात बहुत खराब हो चुके है। सभी के हाथ बंधे हुए है। नाउम्मीदी का माहौल अब बढ़ता जा रहा है। सरासर खुलेआम ज़म्हूरियत का मखौल उड़ाया जा रहा है। इनके बीच सबसे खराब हालात तो ये है कि नेशनल मीडिया (National media), व्यवस्था में बैठे कुछ लोगों के हाथों की कठपुतली बन गया है। मीडिया में बैठे ये लोग राष्ट्र विरोधी मोर्चे पर काम कर रहे है। ये मौका है संयुक्त राष्ट्र (United Nations) और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकाय (International body) इसमें दखल दे। ताकि स्थिति पर लगाम लगाने के लिए गंभीर और कारगर कदम उठाए जा सकें।
नेशनल मीडिया बना कठपुतली
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