रांची (शौर्य यादव): 2014 में पीएम मोदी के सत्ता संभालते ही नक्सली गतिविधियों (Naxal activity) में काफी कमी आयी है। इसके पीछे सीआरपीएफ और उनकी कोबरा बटालियन (Cobra battalion) का खासा योगदान रहा। हाल में गृहमंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक नक्सल आंदोलन में महिला की भूमिका में भारी कमी आयी है। कहीं ना कहीं नक्सलवाद उग्रवाद समूह इससे काफी चितिंत दिख रहा है। इसी के चलते अब अपने आंदोलन को धार देने के लिए नक्सली कमांडरों ने नयी रणनीति अख्तियार की है। जिसके तहत नक्सली आंदोलन का प्रचार-प्रसार करने के लिए बच्चों का इस्तेमाल कर रहा है।
रांची में राजभवन के पास लगे नक्सली समूह तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (TSPC) के पोस्टर को लेकर पुलिस ने इस बात का खुलासा किया है। TSPC छोटे-छोटे बच्चों को पोस्टर लगने के एवज़ में पैसे दे रहा है। ब्रेन वॉश कर उनका इस्तेमाल स्लीपर सेल बनाने के लिए किये जाने के पुख़्ता प्रमाण पुलिस को मिले है। जिसके लिए सिलसिलेवार रणनीति (Sequential strategy) उग्रवादी समूह तैयार कर रहे है। जिसके अन्तर्गत बच्चों को पहले पोस्टर लगाने के लिए पांच हज़ार रूपये देकर लालच दिया जाता है। बाद में उन्हीं बच्चों को उग्रवाद की आग में झोंकने की तैयारी है। जिससे स्थानीय पुलिस दल और सुरक्षा बल नक्सलियों के आला कमांडरों तक ना पहुँच पाये।
इस मामले में रांची पुलिस ने पांच लोगों की गिरफ्तारी की है। प्रकरण की जांच के लिए एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने खास दिशा-निर्देश जारी किये थे। जिसके बाद सिटी एसपी सौरभ की अगुवाई में एक खास दस्ते का गठन किया गया। आरोपियों की धर-पकड़ होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर खुलासा किया गया कि TSPC अपनी खोयी ज़मीन दुबारा हासिल करने का भरसक प्रयास कर रहे है। जिसके लिए उन्होनें इस कवायद की शुरूआत की है। तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी के कमांडरों ने चतरा और रांची के सीमाई इलाकों में इस प्रकरण की पटकथा तैयार की थी।
पकड़े गये आरोपियों ने खुलासा किया कि, एरिया कमांडर से उन्हें इस काम के लिए वेतन मिलता था। योजना के तहत पूरे शहर में पोस्टरबाजी कर TSPC की धमक सूबे में कायम करने की जिम्मेदारी इन्हें सौंपी गयी थी। जिसके लिए पहले उन्होनें बच्चों का इस्तेमाल बाद इस काम के लिए पुराने कैडरों के साथियों को भी इस मुहिम में जोड़ा गया। रांची में राजभवन के अलावा कई औऱ इलाकों में TSPC ने पोस्टरबाजी करवायी।
पकड़े गये एक आरोपी ने दावा किया कि, वो पहले TSPC के एरिया कमांडर के लिए काम करता था। फिर उसने संगठन और उसकी गतिविधियों से किनारा कर लिया। इसी साल लॉकडाउन के कारण पैसों की तंगी के चलते वो उग्रवादी गतिविधियों में फिर शामिल हो गया। पोस्टर में पुलिस-प्रशासन और राज्य में चल रही कोयला परियोजनाओं की मुखालफत की गयी थी। सभी आरोपियों को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दबोचा गया।