न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): NCP Divided: अजित पवार के चौंकाने वाले कदम से उनके चाचा और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार (NCP supremo Sharad Pawar) अनजान रह गये। ये न सिर्फ महाराष्ट्र में एक अहम मोड़ की शुरूआत है, बल्कि इसने पूरे देश में हलचल पैदा कर दी है। महाराष्ट्र के नये उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Ajit Pawar) अपने चाचा और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को छोड़कर साथी बागी एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की अगुवाई वाली सरकार में शामिल हो गये। एनसीपी संकट विपक्ष की एकता पर करारा पलटवार है। 15 विपक्षी दल 2024 के लिये भाजपा विरोधी मोर्चा बना रहे हैं। जबकि पटना मेगा बैठक ने सियासी गेंद को घुमाने की तैयारी कर ली थी, बीते रविवार (2 जुलाई 2023) को घटनाक्रम संभावित रूप से विपक्ष के लिये बड़ी आफत पैदा कर सकता है।
शरद पवार और सुप्रिया सुले (Supriya Sule) की ओर से पटना में राहुल गांधी के साथ मंच साझा करने और उन्हें शीर्ष भूमिका में स्वीकार करने की उनकी मंशा से अजित पवार के समर्थक खासा नाराज थे। पिछले साल सीएम एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ शिवसेना को तोड़ने के चौंकाने वाले कदम के बाद, अजीत पवार ने शरद पवार के खिलाफ भी ऐसा ही कदम उठाया। दोनों नेता अपनी पार्टियों के कांग्रेस के साथ जुड़ाव से खासा नाखुश थे। ये प्रकरण दिल्ली, पश्चिम बंगाल और केरल (West Bengal and Kerala) में कांग्रेस और आप, टीएमसी और सीपीएम (TMC and CPM) के बीच चल रही दरार को बढ़ा सकता है।
पिछले साल शिंदे के साथ रणनीतिक कदम के बाद देवेंद्र फड़नवीस (Devendra Fadnavis) के नेतृत्व वाली भाजपा अब राज्य में ड्राइविंग सीट पर है। पवार के सरकार में शामिल होने से निकट भविष्य में किसी भी संकट के खिलाफ सरकार पुख़्ता तौर पर मजबूत होगी।
एनसीपी की बगावत उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी), शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन एमवीए (MVA) के लिये ताबूत में आखिरी कील साबित होता दिख रहा है। भाजपा-शिवसेना (एकनाथ शिंदे)-अजित पवार गठबंधन की महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में जबरदस्त चुनावी पकड़ है।
पवार को कुशल रणनीतिज्ञ और चतुर राजनीतिज्ञ माना जाता है। उन्होंने दशकों से क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अपना असर कायम रखा है। पवार को विपक्ष के पीएम उम्मीदवार के दावेदार के तौर पर भी देखा जा रहा था, हालाँकि अपने भतीजे की ओर से चालाकी दिखाये जाने की वज़ह से पवार अजीब हालातों से घिर गये है।