न्यूज डेस्क (अमित त्यागी): NCP Tussle: पिछले साल महाराष्ट्र में एमवीए सरकार गिरने के बाद एनसीपी के 53 विधायकों में से 51 ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने की मंशा ज़ाहिर की थी, ये दावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के नेता प्रफुल्ल पटेल ने किया, जिसके कुछ दिनों बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पार्टी से बगावत कर दी। प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) जिन्होंने अंदरूनी कलह के हालातों के दौरान अजित पवार (Ajit Pawar) का पक्ष लिया था, ने बगावत का बचाव करते हुए तर्क दिया कि अगर एनसीपी वैचारिक रूप से विपरीत शिवसेना (Shiv Sena) के साथ सत्ता साझा कर सकती है तो वो सत्तारूढ़ दल के साथ गठबंधन भी कर सकती है।
बता दे कि कांग्रेस (Congress) से अलग होने के बाद शरद पवार ने 1999 में एनसीपी का गठन किया। उन्होंने नई नवेली इकाई को महाराष्ट्र की राजनीति में शानदार सियासी ताकत में तब्दील कर दिया।
साल 2019 में पर्याप्त विधायकों का समर्थन नहीं जुटा पाने के बाद अजित पवार की तख्तापलट की कोशिश नाकाम हो गयी। उन्होंने महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले देवेंद्र फड़नवीस (Devendra Fadnavis) के डिप्टी के रूप में शपथ ली – दोनों को कुछ घंटों के भीतर इस्तीफा देने के लिये मजबूर होना पड़ा गया। इसके बाद एनसीपी और कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ असहज गठबंधन कर लिया। शरद पवार (Sharad Pawar) ने अजित पवार की वापसी को मंजूरी दे दी।
पिछले साल शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे (Shiv Sena leader Eknath Shinde) की बगावत के चलते एमवीए सरकार महाराष्ट्र की सत्ता से बेदखल हो गयी थी। ऐसी ही एक स्क्रिप्ट फिर से चल रही है। अजित पवार और आठ अन्य विधायकों ने एकनाथ शिंदे मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ ली है।
प्रफुल्ल पटेल ने इस मामले पर कहा कि, “इस मुद्दे पर चर्चा हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ। अब इसे आकार दिया गया है। ये फैसला पार्टी के तौर पर लिया गया है, ना कि मैंने या अजीत पवार ने व्यक्तिगत रूप से।”
पटेल ने दावा किया कि बैठक में सिर्फ दो विधायक अनिल देशमुख और नवाब मलिक (Anil Deshmukh and Nawab Malik) मौजूद थे। उन्होंने दावा किया कि तत्कालीन राकांपा विधायकों ने भी शरद पवार को खत लिखकर अनुरोध किया था कि पार्टी को सत्ता से बाहर नहीं रहना चाहिए।
पटेल ने कहा कि वो पवार के बहुत करीबी थे लेकिन उन्हें अभी भी पार्टी प्रमुख का पद छोड़ने के उनके फैसले के बारे में जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि शरद पवार मुझसे नाराज होंगे। उनके मन में मेरे लिये जो भी भावनाएं हैं, मैं उनका सामना करूंगा।”