नई दिल्ली (गौरांग यदुवंशी): जल्द ही देश में नये बनने वाले श्रम कानून (New Labour Code) सामने आ सकते है। जिसके तहत हफ़्ते भर के कामकाजी दिन बदल सकते है। बीते सोमवार श्रम मंत्रालय के सचिव ने ऐलान किया कि, वो नियमों का ऐसा खाका तैयार करने जा रहे है। जिसके लागू होने के बाद केन्द्र सरकार तीन दिन की पेड छुट्टी और चार ऑफिशियल डे का नियम लागू कर सकती है।
मसौदे (Draft) में इस विकल्प को भी रखा गया है कि कंपनियां और उसके कर्मचारी आपसी रज़ामंदी से इस नियम पर साझा सहमति बना सकते है। इस सुविधा का फायदा उठाने के लिए कर्मचारियों के कामकाजी घंटों को बढ़ाकार 12 घंटे किया जा सकता है। मसौदा लागू होने के बाद हफ्ते भर में 48 घंटे कामकाजी होगें। जिसके बाद कामकाजी दिन पांच से घटकर चार हो जायेगें और तीन दिन छुट्टियों के।
इसके साथ ही श्रम सचिव ने ऐलान किया कि कर्मचारी भविष्य निधि में अगर ढ़ाई लाख रूपये से ज़्यादा का निवेश हुआ तो कर्मचारी के अंशदान पर कर लगेगा। कंपनी की ओर से होने वाले योगदान को इस दायरे से बाहर रखा जायेगा। किसी तरह की आयकर छूट के लिए पीपीएफ और ईपीएफ को टैक्स कैलकुलेशन (Tax calculation) में नहीं जोड़ा जायेगा।
केन्द्र सरकार ने ये फैसला उन लोगों के मद्देनज़र लिया। जिन्हें ज़्यादा वेतन का भुगतान होता है। ईपीएफ में ज़्यादा निवेश और बढ़ती ब्याज दर इस फैसले की अहम वज़ह है। इस निर्णय का सीधा असर 1 लाख 23 हजार अंशधारकों पर पड़ेगा। जिनकी ज्यादा आय होने के कारण सरकार को उन्हें ज्यादा ब्याज देना पड़ता है।
दूसरी ओर श्रम सचिव के मुताबिक न्यूनतम ईपीएफ पेंशन की रकम बढ़ाने की सिफारिश फिलहाल मंत्रालय में भेजी नहीं गयी है। कई मजदूर संगठन लंबे समय से इसे बढ़ाने की मांग कर रहे है। इसके पीछे मजदूर यूनियनों वज़ह देती है कि सामाजिक सुरक्षा के नाम पर केन्द्र इससे ज्यादा रकम का भुगतान कर रहा है। जबकि ताउम्र ईपीएफओ का अंशदान भुगतान करने के बंद ईपीएफओ लाभार्थियों को बेहद कम पेंशन का भुगतान होता है।
मीडिया से बात करते हुए श्रम सचिव ने दावा किया कि- जिन प्रस्तावों की सिफारिश रोजगार एवं श्रम मंत्रालय ने की थी। उन सभी को केन्द्रीय बजट 2020-21 में शामिल कर लिया गया है।