एजेंसियां/न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): Niger Coup: पश्चिमी अफ़्रीकी देश नाइजर में सैनिकों ने नेशनल टीवी पर तख्तापलट का ऐलान किया। इस दौरान दावा किया गया कि उन्होंने संविधान को भंग कर दिया है, साथ ही तत्काल प्रभाव सभी राजकीय संस्थानों के कामकाज़ को रोक दिया गया है। एहतियाती कदम उठाते हुए देश की सीमाओं को बंद कर दिया गया है।
नाइजर के राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ौम (President Mohamed Bazoum) को बुधवार (26-27 जुलाई 2023) सुबह से ही राष्ट्रपति गार्ड के सैनिकों ने पकड़ लिया है। बता दे कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) के एक कॉल में उन्हें वाशिंगटन के “अटूट समर्थन” का वादा किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (United Nations Secretary-General Antonio Guterres) ने भी कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से बात की है और संयुक्त राष्ट्र के पूर्ण समर्थन की पेशकश की है। बज़ौम पश्चिम अफ्रीका में इस्लामी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में अहम पश्चिमी सहयोगी रहे हैं।
इसी फेहरिस्त में दो पड़ोसी मुल्कों माली और बुर्किना फासो (Mali and Burkina Faso) को हाल के सालों में जिहादी बगावत की वज़ह से तख्तापलट का सामना करना पड़ा है। दोनों देशों में नये सैन्य नेताओं का पूर्व औपनिवेशिक ताकत फ्रांस (France) के साथ मतभेद हो गया, जिसने पहले नाइजर पर भी शासन किया था।
खब़र लिखे जाने तक बज़ौम का ठिकाना का पता नहीं चल पाया है, लेकिन आज (27 जुलाई 2023) सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत से हासिल की गयी जीत की हिफाज़त की जायेगी और लोकतंत्र से प्यार करने वाले नाइजीरियाई लोग इसे देखेंगे।”
बुधवार (26 जुलाई 2023) को नेशनल टीवी पर बगावत के ऐलान के दौरान नौ वर्दीधारी हथियारबंद सैनिकों के बीच कर्नल मेजर अमादौ अब्द्रमाने (Colonel Major Amadou Abdramane) ने कहा कि, “हम, रक्षा और सुरक्षा बलों ने… उस शासन को खत्म करने का फैसला किया है जिसे आप जानते हैं। ये सुरक्षा हालातों की लगातार गिरावट, खराब आर्थिक और सामाजिक प्रशासन का नतीज़ा है।”
उन्होंने ये भी कहा कि देश के सभी सरकार संस्थानों के कामकाज़ को रोक दिया गया है और साथ ही मंत्रालयों के प्रमुख रोजाना के कामकाज का ध्यान रखेंगे। उन्होंने आगे कहा कि, “सभी बाहरी साझेदारों से मामले दखल न देने के लिये कहा गया है। स्थिति स्थिर होने तक ज़मीनी और हवाई सीमायें बंद रहेगी।”
तख्तापलट के बाद सैन्य शासन ने अगली जानकारी तक स्थानीय समयानुसार 22:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक रात्रि कर्फ्यू को लागू कर दिया है। कर्नल मेजर अब्द्रमाने ने कहा कि सैनिक नेशनल काउंसिल फॉर द सेफगार्ड ऑफ द होमलैंड (सीएनएसपी) के लिये काम कर रहे थे।
फौज की ओर से टीवी पर तख्तापलट करने के ऐलान के बाद ब्लिंकन ने राष्ट्रपति बज़ौम की रिहाई का आह्वान किया। उन्होंने न्यूज़ीलैंड में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि “ये साफतौर पर ज़बरन सत्ता पर कब्ज़ा करने और संविधान को बाधित करने की कोशिश है।”
पड़ोसी मुल्क माली में भारी हथियारों से लैस रूसी वैगनर भाड़े के सैनिक जिहादी विद्रोहियों से लड़ने में सैन्य शासन की मदद कर रहे हैं। नाइजर की अशांति वैगनर ऑप्रेशन और साहेल इलाकी की अस्थिरता पश्चिमी मुल्कों के माथे पर चिंता की लकीरें खींचे हुए है।
अफ़्रीका में रूसी प्रभाव बढ़ाने के इच्छुक राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) आज (27 जुलाई 2023) सेंट पीटर्सबर्ग में अफ़्रीकी नेताओं की मेजबानी कर रहे हैं। पश्चिम अफ़्रीकी आर्थिक गुट इकोवास ने कहा है कि वो नाइजर में सैन्य बल की ओर से सत्ता पर कब्ज़ा करने की कवायदों की कड़े शब्दों में निंदा करते है।
इकोवास की ओर से बेनिन के राष्ट्रपति पैट्रिस टैलोन (President Patrice Tallon) मध्यस्थता मिशन पर राजधानी नियामी पहुंचे हैं। टैलोन ने कहा कि “नाइजर में संवैधानिक व्यवस्था को बहाल करने के लिये अगर जरूरी हुआ तो सभी साधनों और विकल्पों का इस्तेमाल किया जायेगा, लेकिन आदर्श ये होगा कि सब कुछ शांति और सद्भाव में किया जाये।”
इससे पहले बुधवार (26 जुलाई 2023) को नियामी में भीड़ बज़ौम के समर्थन में सड़कों पर उतर आयी। नेशनल ब्रॉडकास्टर्स के कार्यालय के आसपास राष्ट्रपति के वफादार भारी सशस्त्र बलों को तैनात देखा गया। शहर ज़्यादातर शांतिपूर्ण था, हालाँकि तख्तापलट करने वाले सैनिकों ने विरोध प्रदर्शन को ख़त्म करने के लिये अंधाधुंध गोलियाँ भी चलायी।
नाइजर दो इस्लामी विद्रोहों से जूझ रहा है, एक दक्षिण-पश्चिम में, जो कि साल 2015 में माली से आया था, और दूसरा दक्षिण-पूर्व में जिसमें उत्तर-पूर्वी नाइजीरिया के जिहादी शामिल थे। अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट (Al-Qaeda and the Islamic State) दोनों से जुड़े आतंकी गुट देश में सक्रिय हैं।
राष्ट्रपति बज़ौम, जो कि साल 2021 में लोकतांत्रिक रूप से चुने गये थे, फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों के करीबी सहयोगी हैं। साल 1960 में फ़्रांस से आज़ादी के बाद से नाइजर चार बार तख्तापलट का गवाह बन चुका है, साथ ही इसके अलावा कई बार तख्तापलट की दूसरी कवायदें भी यहां हो चुकी है।