नई दिल्ली (ब्यूरो): निर्भया सामूहिक बलात्कार (Nirbhaya gang rape) और हत्या मामले में दोषी पवन गुप्ता की क्यूरेटिव पिटिशन (Curative petition) करो माननीय सर्वोच्च न्यायालय (Honorable Supreme Court) ने एक सिरे से खारिज कर दी है। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को चारों आरोपियों को होने वाली फांसी पर रोक लगाने से सीधा इनकार कर दिया।
दूसरी ओर इन चारों आरोपियों ने पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) में फांसी की सजा (Sentence to death) पर रोक लगाने से जुड़ी याचिका दायर की थी। जिस पर एडिशनल सेशन जज (Additional Sessions Judge) धर्मेंद्र राणा (Dharmendra Rana) ने आरोपियों के वकील को जमकर लताड़ा और फैसला सुनाते हुए कहा- जिस तरह से कानूनी दांवपेच खेले जा रहे हैं वो बेहद गलत रवायत की शुरूआत करेगें। कोर्ट के इस फैसले के बाद पवन गुप्ता ने आनन-फानन में राष्ट्रपति के पास दया याचिका (Mercy petition) दायर की। कानूनी जानकारों का ये मानना है कि भले ही राष्ट्रपति आज ही आरोपी की दया याचिका खारिज कर दे। लेकिन उसे फांसी याचिका खारिज़ होने के 14 दिन बाद ही होगी।
गौरतलब है कि चारों आरोपियों ने फांसी की सजा को चुनौती देते हुए, पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके मुताबिक उनकी सजा को फांसी से बदलकर उम्र कैद (life prison) में तब्दील करने का अनुरोध किया गया था। अब तक चारों आरोपियों के खिलाफ दो बार डेथ वारंट (Death warrant) जारी हो चुका है।
न्यायिक प्रक्रियाओं (Judicial procedures) को लेकर निर्भया की मां आशा काफी हताश और निराश दिखी। उनके मुताबिक आरोपी कानून के दांवपेचों का सहारा लेकर अब तक फांसी की सजा की तारीख खाऱिज करवाते आए हैं। बेहद आसानी से चारों मिलकर वकील के साथ कानून को गुमराह कर रहे हैं। भारतीय न्यायिक व्यवस्था (Indian judicial system) में उनकी आस्था अभी भी कायम है।