न्यूज़ डेस्क: Delhi Police भले ही कितने दावे कर ले, लेकिन उसके कामकाज करने के तौर-तरीकों से आम जनता डरी ही रहती है। किसी तरह की दुर्घटना हो जाने पर आम आदमी थाने में जाने और पुलिस की मदद मांगने से बचता है। आये दिनों पुलिस और बदमाशों के गठजोड़ की खब़रे (News of police and miscreants’ nexus) सामने आती रहती है। कुछ ऐसा ही वाकया दिल्ली के किराड़ी विधानसभा क्षेत्र के निठारी गांव (Nithari village of Kiradi assembly constituency in Delhi) में देखने को मिला। जहां दिल्ली पुलिस के एक कांस्टबेल ने अपनी वर्दी का सारा रौब 13 साल के नाबालिग बच्चे पर उतार दिया। मामला उतना तूल ना पकड़ता, अगर ये वारदात दिल्ली सरकार के लगाये कैमरे में कैद ना हुई होती। घटना का वीडियो पूरे इलाके में वायरल (Video of the incident went viral in the area) हो रहा है, लेकिन पुलिसिया खौफ के चलते कोई भी कांस्टेबल के खिलाफ आव़ाज उठाने को तैयार नहीं है।
वायरल हो रहा वीडियो 5 सितम्बर 2020 दोपहर तकरीबन 12 बजे के आसपास का है। सूत्रों के हवाले से पता लगा है कि, वीडियो में दिखाई दे रहा कांस्टेबल प्रेम नगर पुलिस स्टेशन में तैनात गांव मुंडेला निवासी अमित कुमार (Delhi Police Constable Amit Kumar) है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि अमित कुमार बाइक पर सवार हो, इलाके के ही नाबालिग लड़के को अंधाधुंध पीटने लगे। इस दौरान कांस्टेबल ने बच्चे के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर (Constable crossed all limits of inhumanity with minor) दी। थप्पड़, घूंसे और कोहनियों से नाबालिग को बुरी तरह पीटा। बच्चा हाथ जोड़कर, गिड़गिड़ाकर कांस्टेबल अमित कुमार से रहम की भीख मांगता दिखा। लेकिन खाकी के रौब के आगे नाबालिग बच्चा पूरी तरह लाचार और बेबस था।
इस वारदात के साथ ही एक बार फिर से दिल्ली पुलिस के काम करने के तौर-तरीकों पर सवालिया निशान लग गया है। कांस्टेबल के रवैये का याद करते हुए बच्चा अभी भी खौफजदा है। गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस में भर्ती होने से पहले ट्रेनिंग के दौरान सभी ज़वानों को इंडियन पिनल कोड, क्रिमिनल प्रोसीज़र कोड, इंडियन एविडेंस एक्ट, मानवाधिकारों और बाल अधिकारों (Indian Penal Code, Criminal Procedure Code, Indian Evidence Act, Human Rights and Child Rights) के बारे में पढ़ाया जाता है। बावजूद इसके दिल्ली पुलिस का ये ज़वान दरिन्दगी पर कैसे उतर आया? ये अपने आप में बड़ा सवाल है। अनुशासन का दम भरने वाली दिल्ली पुलिस का कांस्टेबल इतना गैर पेशेवराना कैसे हो सकता है? क्या दिल्ली पुलिस का ध्येय वाक्य शांति, सेवा, न्याय वाकई में खोखला है? नाबालिग के साथ हुई इस वारदात का संज्ञान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) और गृह मन्त्रालय (Ministry of Home Affairs) को तुरन्त ही लेना चाहिए और आरोपी कांस्टेबल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
ये सीएम अरविंद केजरीवाल की दूरदर्शिता का ही नतीज़ा है कि ये वारदात दिल्ली सरकार के कैमरे में कैद हुई। अक्सर दिल्ली सरकार केन्द्र से आग्रह करती रही है कि दिल्ली पुलिस की कमांड दिल्ली सरकार को सौंप दी जाये लेकिन गृह मंत्रालय दिल्ली सरकार की मांग को संघीय ढांचे का हवाला देकर नकारता रहा है। लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले वक्त में दिल्ली सरकार के इन्हीं कैमरों की जद में अपराधियों और दिल्ली पुलिस की मनमानियों के और भी किस्से दर्ज होगें।
खब़र लिखे जाने तक आरोपी कांस्टेबल पर किसी तरह की विभागीय या अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गयी (No departmental or disciplinary action was taken against the accused constable)। अब देखना ये दिलचस्प रहेगा कि, दिल्ली पुलिस अपनी खाकी पर इस लगे कंलक को किस तरह साफ करती है। या फिर इस मामले की लीपापोती कर इसे दबा दिया जायेगा ?