नई दिल्ली (शाश्वत अहीर): No-confidence motion Against Modi Govt.: लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए, तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय (Trinamool Congress MP Saugata Roy) ने मंगलवार (8 अगस्त 2023) को कहा कि उन्होंने वोटिंग के दौरान और उसके बाद हुई हिंसा की जांच के लिये पश्चिम बंगाल (West Bengal) में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा है। हाल के पंचायत चुनावों में जातीय झड़पों के बीच मणिपुर में ऐसी कोई तथ्य-खोज टीम नहीं भेजी गयी।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई (Congress MP Gaurav Gogoi) जिन्होंने निचले सदन में केंद्र के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया और हाल ही में मणिपुर में विपक्षी सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, ने मंगलवार को बहस शुरूआत। अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान विपक्ष की ओर से निचले सदन को संबोधित करते हुए टीएमसी सांसद ने कहा, “ये एक ऐसी सरकार है, जिसके पास दिल नाम की कोई चीज़ नहीं है। वे किसी भी बहाने पश्चिम बंगाल में एक प्रतिनिधिमंडल भेज सकते हैं, लेकिन उन्होनें मणिपुर में ऐसा कुछ भी नहीं किया, जहां हमारे भाई-बहन हिंसा का शिकार हो रहे हैं। देश पर शासन करने वालों को कोई दया नहीं है, यही वज़ह है कि उन्होंने विपक्षी दलों के उलट मणिपुर में एक भी प्रतिनिधिमंडल नहीं भेजा।”
इसी बात को दोहराते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले (Supriya Sule) ने पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा पर लगाम लगाने और शांति बहाल करने में नाकाम रहने के लिए मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (Chief Minister N. Biren Singh) के इस्तीफे की मांग की। उन्होनें कहा कि- “मैं मांग करता हूं कि मणिपुर में शांति और व्यवस्था बहाल करने में नाकामी की जिम्मेदारी लेते हुए सीएम को तुरंत पद छोड़ना चाहिए। राज्य में (हिंसा भड़कने के बाद से) दंगे, हत्या और बलात्कार के 10,000 से ज्यादा मामले दर्ज किये गये हैं। क्या हम ऐसे हो गये हैं असंवेदनशील? इस सरकार के साथ यही समस्या है।”
केंद्र के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान निचले सदन को संबोधित करते हुए द्रमुक सांसद टीआर बालू (DMK MP TR Baalu) ने आरोप लगाया कि मणिपुर में अल्पसंख्यकों को बेरहमी से मार दिया गया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न तो बयान देने के लिये संसद में आ सके और न ही दौरा कर सके। टीआर बालू ने इसी मुद्दे पर कहा कि- “मणिपुर में अल्पसंख्यकों को बेरहमी से मार दिया गया। कम से कम 143 लोग मारे गये, जबकि अन्य 65,000 लोग या तो विस्थापित हो गये या हिंसा की वज़ह से राज्य से पलायन कर गये। दो महिलाओं के कपड़े उतार दिये गये, उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उन्हें मणिपुर की सड़कों पर नंगा घुमाया गया। सूबे के मुख्यमंत्री बेबस थे। प्रधानमंत्री एक बार भी संसद में बयान देने नहीं आये और न ही उन्होंने आज तक मणिपुर का दौरा किया है। हालांकि I.N.D.I.A के सदस्यों ने मणिपुर का दौरा किया और राज्य में विस्थापित स्थानीय लोगों की बदहाली का जायजा लिया।”
समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव (MP Dimple Yadav) ने भी मणिपुर के हालातों पर पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या मणिपुर हमारे देश का हिस्सा नहीं है? बीजेपी जो कुछ भी करती है वो नफरत की राजनीति करती है।” उन्होनें आगे कहा कि- “दुनिया भर में इसकी (मणिपुर हिंसा और इससे निपटने में केंद्र की कथित नाकामी) की निंदा की गयी है। राज्य प्रायोजित जातीय हिंसा के बेहद गंभीर नतीज़े सामने आ रहे है। प्रधानमंत्री को सदन में आना चाहिये ताकि मणिपुर से जुड़े मुद्दों पर खुली चर्चा हो सके।”
इससे पहले केंद्र के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को स्वीकार करना होगा कि मणिपुर में उनकी ‘डबल इंजन सरकार’ डिरेल हो गयी है। उन्होनें आगे कहा कि- “प्रधानमंत्री को ये माननना चाहिये कि मणिपुर में भाजपा की डबल इंजन सरकार नाकाम रही है। यही वज़ह है कि मणिपुर में 150 लोगों की मौत हो गयी है, लगभग 5,000 घरों को आग लगा दी गयी है, हिंसा से विस्थापित लगभग 60,000 लोग राहत शिविरों में हैं और अब तक 6,500 एफआईआर दर्ज की गयी हैं।”
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए गौरव गोगोई ने कहा कि-“I.N.D.I.A. मणिपुर के लोगों के न्याय के हित में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। राज्य के सीएम ने बातचीत के लिये माहौल बनाने के साथ-साथ शांति और सद्भाव की बहाली के लिये कारगर कदम उठाने के बजाय पिछले कुछ दिनों में कुछ ऐसे संकेत दिये हैं, जिसके नतीज़न तनाव काफी बढ़ गया है। हम (केंद्र के खिलाफ) अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिये मजबूर हैं। ये मामला कभी भी संख्या को बारे में नहीं था, बल्कि मणिपुर के लिये न्याय के बारे में था। मैंने प्रस्ताव पेश किया कि इस सदन ने सरकार पर विश्वास खो दिया है। I.N.D.I.A मणिपुर के लिये ये प्रस्ताव लेकर आया है। मणिपुर न्याय चाहता है।”
बहस के दौरान सदन को संबोधित करने के लिये वाईएसआरसीपी, शिवसेना, जेडीयू, बीजेडी, बीएसपी, बीआरएस और एलजेपी को कुल 2 घंटे का समय दिया गया था। दिये गये समय को निचले सदन में प्रत्येक पार्टी के सांसदों की तादाद के मुताबिक बांटा गया था। इसके साथ ही अन्य दलों और निर्दलीय सांसदों के लिये 1 घंटा 10 मिनट की समय सीमा तय की गयी थी।
मणिपुर उच्च न्यायालय की ओर से राज्य सरकार से मेइतियों को अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की लिस्ट में जोड़ने पर विचार करने के लिये कहने की रौशनी में मेइतियों और कुकियों के बीच जातीय झड़पें होने के बाद पिछले तीन महीनों से मणिपुर में जातीय हिंसा उबाल पर है।