न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): हरियाणा विधानसभा (Haryana Legislative Assembly) में आज भाजपा-जेजेपी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के साथ, सत्तारूढ़ भाजपा-जेजेपी के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दलों ने अपनी अनिवार्य उपस्थिति के लिए सभी संबंधित सदस्यों को व्हिप जारी किया । हरियाणा के मंत्री और भाजपा के मुख्य सचेतक कंवर पाल ने कहा, “भारतीय जनता विधानमंडल दल के सभी सदस्यों से अनुरोध है कि वे हरियाणा विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र के दौरान 10 मार्च को सदन में मौजूद रहें। पूर्व अनुमति के बिना कोई भी चैंबर ना छोड़े। विभाजन/मतदान के समय सभी सदस्य विधायक मौजूद रहे।
हरियाणा भाजपा ने तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रही, जननायक जनता पार्टी के नेताओं से विधानसभा में प्रस्ताव के समर्थन में अपने प्रतिनिधियों द्वारा पैरवी करने की गुज़ाऱिश की। विपक्ष के नेता और दो बार सूबे के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि, अविश्वास प्रस्ताव से तस्वीर साफ करने में मदद मिलेगी कि कौन किसानों के समर्थन में खड़ा है और कौन नहीं। अविश्वास प्रस्ताव की बेहद जरूरत थी। हरियाणा के जनता राज्य के प्रति विश्वास खो चुकी है। राज्य सरकार बेलगाम तरीके से जनभावनाओं को दरकिनार (Bypassing public sentiments) कर जनविरोधी फैसले ले रही है।
अविश्वास प्रस्ताव पर हुड्डा की अगुवाई में 23 कांग्रेसी विधायकों ने हस्ताक्षर किये थे। इसे 5 मार्च को स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दी थी।हुड्डा ने ये भी कहा था कि, उनकी पार्टी हरियाणा सरकार का ध्यान लोगों की समस्यायों की ओर दिलाने के लिए “स्थगन” और “कॉलिंग अटेंशन” की योजना बनायी है। इससे सरकार पर ज़वाबदेही तय करने का दबाव बनेगा।
ऐसे में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। कई स्थगन प्रस्ताव (Adjournment motion) और सरकार के खिलाफ ध्यान प्रस्तावों (Attention proposal against the government) को सदन में लाकर विरोध के सुरों को अमलीजामा पहनाया जायेगा। हुड्डा के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी बिल, किसानों की उपेक्षा, बढ़ती बेरोजगारी, डोमिसाइल नियमों में बदलाव, बढ़ते अपराध, पेपर लीक, शराब और रजिस्ट्री घोटाले जैसे मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगा जायेगा। दूसरी और जेजेपी को किसानों के मुद्दे पर गठबंधन से बाहर नहीं निकलने और ‘सत्ता से चिपके रहने’ के लिए अंदरखाने पार्टी में आलोचनायें हो रही है। जिससे पार्टी बड़ी दुविधा फंसी दिखाई दे रही है।
गठबंधन में जेजेपी ने भाजपा को समर्थन दिया। 2019 में विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 40 सीटें जीतीं। बहुमत का आंकड़ा छूने के लिये उसे छह और सीटों की दरकार थी। भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चारुनी ने कहा कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना बेहद जरूरी था।
एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा राज्य के निवासियों को विधायकों के निवासों के सामने विरोध प्रदर्शन करना चाहिए। जो राज्य सरकार का समर्थन कर रहे हैं। उन्हें नेताओं को चेतावनी देनी चाहिए कि अगर वो समर्थन करना जारी रखते हैं तो उन्हें सामाजिक और राजनीतिक बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा।
हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस मुद्दे पर बेफ्रिकी दिखायी और मीडिया से कहा कि, ये कवायद कांग्रेसियों के लिए अपना झुंड एक साथ बनाये रखने की है। कांग्रेस से हरियाणा सरकार को कोई खतरा नहीं है। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में मौजूदा वक्त में 88 सदस्य कुर्सियों पर काब़िज है। जिसमें सत्तारूढ़ भाजपा में 40 विधानसभा सीटें, जेजेपी 10, कांग्रेस 30 और सात विधानसभा सीटें निर्दलीयों के पास है। जिनमें से पांच सरकार का समर्थन कर रहे हैं। हरियाणा लोकहित पार्टी भी एक सीट जीतकर सरकार को समर्थन दे रही है। भाजपा-जेजेपी गठबंधन के पास 50 विधायकों के साथ बहुमत है।