एजेंसियां/न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): उत्तर कोरिया (North Korea) ने आज (5 मार्च 2022) कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्व में समुद्र की ओर बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile) दागी। इस इलाके में तैनात सेना ने कहा कि दक्षिण कोरिया को राष्ट्रपति चुनाव से कुछ दिन पहले किये गये मिसाइल परीक्षण के मायने काफी गहरे है। दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ ने कहा कि शनिवार को संदिग्ध बैलिस्टिक मिसाइल की लॉन्चिंग का पता लगाया, जबकि जापान के प्रधान मंत्री के कार्यालय ने भी कहा कि ये एक संदिग्ध बैलिस्टिक मिसाइल थी।
उत्तर कोरिया का ये इस साल का नौवां मिसाइल लॉन्च होगा। आखिरी बार 27 फरवरी को उत्तर कोरिया ने कहा था कि उसने टोही सैटेलाइट (Reconnaissance Satellite) के लिये सिस्टम की टेस्टिंग की है। दक्षिण कोरियाई सेना ने कहा कि शनिवार की लॉन्चिंग सुनन के पास एक अज्ञात जगह पर हुई, जहां प्योंगयांग (Pyongyang) का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। बता दे कि यहीं हवाईअड्डा 27 फरवरी की लॉन्चिंग समेत पिछली कई टेस्टिंग की अहम जगह रही है।
इस मुद्दे पर दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में आपात बैठक बुलायेगी। ये लॉन्च दक्षिण कोरिया में बुधवार के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने वाली चुनौतियों को दिखाता है। परमाणु निरस्त्रीकरण (Nuclear Disarmament) बातचीत ठप्प होने की वज़ह से उत्तर कोरिया ने जनवरी में रिकॉर्ड तादाद में मिसाइल लॉन्चिंग की है। साथ ही दक्षिण कोरिया जासूसी उपग्रह लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। साथ ही उसने 2017 के बाद पहली बार परमाणु हथियारों और अपनी सबसे लंबी दूरी की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM- Intercontinental Ballistic Missiles) का टेस्टिंग को फिर से शुरू करने की मुहिम पर जोर दिया है।
सामरिक विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर कोरिया खास रणनीति के तहत दक्षिण कोरिया में आगामी राष्ट्रपति चुनाव या फिर 15 अप्रैल को अपने राष्ट्रीय अवकाश के दिन एक बड़ी नई मिसाइल या किसी अन्य हथियार का परीक्षण कर सकता है।
वाशिंगटन में विल्सन सेंटर के फैलो जीन ली ने इस मुद्दे पर कहा कि- “यूक्रेन पर वैश्विक फोकस को देखते हुए उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण का समय हमें अजीब लग सकता है। लेकिन इस कवायद को उत्तर कोरिया में सही समझ गया है। जहां वैज्ञानिक अप्रैल में बड़ी सैन्य परेड में दिखाने के लिये किम के लिये नये हथियारों के विकास पर पूरा ध्यान लगाये हुए हैं।”
अमेरिका ने कहा है कि वो बिना किसी शर्त के बातचीत के लिये तैयार है, लेकिन प्योंगयांग का कहना है कि बातचीत तभी मुमकिन है जब अमेरिका और उसके सहयोगी शत्रुतापूर्ण नीतियों को छोड़ दें।