बिजनेस डेस्क (राजकुमार): रंगों का त्यौहार होली (Holi) देश भर के कई राज्यों में विभिन्न परंपराओं के साथ बड़े उत्साह से मनाया जाता है। ये त्यौहार (Festival) फसल के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है। देश के चारों कोनों में अनेकता में एकता के मंत्र के साथ इस पर्व को मनाया जाता है, जहाँ अलग-अलग तरीकों से ये उत्साह के साथ उत्सव मनाया जाता है। लेकिन होली पर पालन की जाने वाली परंपरायें पूरे भारत में अलग-अलग हैं, उत्सव के कई पहलू आम हैं, जिनमें से एक सूखी होली के लिये रंग है, जिसे ‘गुलाल’ कहा जाता है।
होली पर लोग एक-दूसरे पर गुलाल (Gulal) लगाते हैं और प्यार से गले मिलते हैं। गुलाल हवा में और सड़कों को इंद्रधनुषी में रंगते नज़र आते हैं। कोई हैरत नहीं है कि करोड़ों लोगों द्वारा मनाये जा रहे त्यौहार के लिये भारी मात्रा में गुलाल का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में होली पर बनने वाले गुलाल की मात्रा का हिसाब लगाना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन साल 2016 में एसोचैम (Assocham) द्वारा किये गये सबसे हालिया अनुमानों के मुताबिक देश में हर साल 5 लाख किलोग्राम से ज़्यादा गुलाल का उत्पादन होता है, जिसमें 5,000 से ज़्यादा रंग निर्माण इकाइयां ये सूखा रंग बनाती हैं। साथ ही 2 लाख किलो गुलाल अकेले ही उत्तर प्रदेश में बनाया जाता है।
सबसे ज्यादा गुलाल प्रोडक्शन (Gulal Production) करने वाला शहर यूपी का हाथरस (Hathras) है। हाथरस के प्रमुख गुलाल निर्माताओं में से एक राधा किशन कलर वर्ल्ड है, जिसे कॉक ब्रांड के नाम से भी जाना जाता है। पिछले साल एक प्रमुख मीडिया आउटलेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक 100 से ज़्यादा कर्मचारियों को रोजगार देने वाली कंपनी अकेले ही सालाना लगभग 2,000 टन गुलाल का उत्पादन करती है।