न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): वायरस इन्फेक्शन के खिलाफ अमेरिकी फार्मास्यूटिकल (American Pharmaceutical) और बॉयो टेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना (Biotechnology Company Moderna) को बड़ी कामयाबी हाथ लगी। कंपनी द्वारा विकसित वैक्सीन ने शुरुआती परीक्षणों के दौरान वायरस (Corona Virus) के खिलाफ सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। ये पहली बार है जब किसी कंपनी ने वैक्सीन का सफल मानव परीक्षण किया। इसके लिए 8 वॉलिंटियर्स का चुनाव कर उन्हें टीके की निर्धारित खुराक दी गई। साथ ही कंपनी के शोधकर्ताओं ने काफी करीब से वॉलिंटियर्स के शरीर की जैवकीय प्रतिक्रियाओं पर नजरें रखी। साथ ही साथ मिलने वाले आंकड़ों का विश्लेषण भी किया। मॉडर्ना की ओर से ये माननीय परीक्षण मार्च महीने में शुरू किया गया था। जिसके तहत 8 सेहतमंद वॉलिंटियर्स का चुनाव कर उन्हें हर महीने टीके की दो-दो खुराक दी गई। खुराक देने के बाद इन वॉलिंटियर्स के शरीर से एंटीबॉडीज निकालकर इनका लैब में परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान पाया गया कि, वॉलिंटियर्स के शरीर से मिलने वाले एंटीबॉडी कोरोना वायरस की बढ़ोतरी रोकने में कामयाब थे। शोधकर्ताओं ने साथ ही शोधकर्ताओं ने एंटीबॉडीज की तुलना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों की एंटीबॉडी से की। जल्द ही कंपनी माननीय परीक्षण का दूसरा चरण शुरू करेगी। जिसमें 600 लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। जुलाई महीने में तीसरे चरण की शुरुआत के साथ वैक्सीन ट्रायल में तकरीबन 1000 लोग हिस्सा लेंगे।
फिलहाल अमेरिकी संस्थान फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने मॉडर्ना को मानवीय परीक्षण के दूसरे चरण के लिए मंजूरी दे दी है। अगर नतीजे सफल रहे तो साल के आखिर में या नए साल की शुरुआत के साथ टीके आम जनता के लिए उपलब्ध होंगे। कंपनी ने दावा किया कि, इंसानों पर प्रयोग के लिए टीका पूरी तरह से कारगर है। कंपनी संसाधनों के पूरे इस्तेमाल के साथ बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन में लगी हुई है। बड़ी मात्रा में इसकी खुराक के तैयार करने के साथ बहुत सी जिंदगी बचाई जा सकेंगी।
गौरतलब है कि इससे पहले इसराइली संस्थान IIBR और अमेरिकी फार्मास्यूटिकल कंपनी Sorrento Therapeutics भी ठीक इसी तरह का दावा पेश कर चुकी है। कई जानकार मानते हैं कि, वैक्सीन बनाने का दावा करने वाली कई कंपनियां झूठी जानकारी फैला कर अपने कंपनी शेयर्स के दामों में बढ़ोतरी करती हैं। जिसका उन्हें काफी बड़ा फायदा मिलता है। किसी भी कंपनी के दावे की सच्चाई तब ही साबित हो सकती है जब उसकी वैक्सीन से बड़े पैमाने पर लोग ठीक हो पायें।