न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली): केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने घोषणा की कि सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) योग्यता प्रमाण पत्र की वैधता अवधि बढ़ाने का फैसला किया है। पहले इसकी वैधता सात साल के लिए थी लेकिन केंद्र की मोदी (Modi) सरकार के इस फैसले के बाद अब यह 2011 से पूर्वव्यापी प्रभाव से जीवन भर के लिए वैध होगी।
टीईटी प्रमाण पत्र की वैधता अवधि बढ़ाने के प्रावधान पर सितंबर 2020 में राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा चर्चा की गई थी, हालांकि, यह शिक्षा मंत्रालय से मंजूरी के बाद अब लागू होगा।
पोखरियाल ने कहा है कि शिक्षण क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में यह एक सकारात्मक कदम होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को उन उम्मीदवारों को टीईटी प्रमाणपत्रों को फिर से सत्यापित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा गया है, जिनकी सात साल की अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है।
टीईटी का आयोजन केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर किया जाता है। स्कूलों में पढ़ाने के इच्छुक लोगों को सीटीईटी या राज्य विशिष्ट टीईटी पास करना होगा। यह परीक्षा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) द्वारा आयोजित की जाती है, जिसके आधार पर प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण पदों के लिए उम्मीदवारों को काम पर रखा जाता है।
परीक्षा सालाना आयोजित की जाती है, हालांकि, इस साल की परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा अभी तक नहीं की गई है। सिर्फ सीटीईटी ही नहीं, इस साल कई राज्य स्तरीय परीक्षाएं टाल दी गई हैं।
हर टीईटी का पैटर्न एक जैसा होता है। प्रत्येक परीक्षा को दो पेपरों में बांटा गया है – पेपर- I और II। कक्षा 1 से 6 तक पढ़ाने के इच्छुक लोग पेपर 1 के लिए उपस्थित होते हैं जबकि बाकी पेपर II के लिए उपस्थित होते हैं।