नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक की एक कवायद ने लोगों की धड़कने बढ़ा दी है। Know Your Customer के मौजूदा ड्राफ्ट में RBI ने खाता खोलने की वैधानिक प्रक्रिया के दौरान NPR से जुड़े कागज़ातों को शामिल कर लिया है। जैसे ही ये खब़र फैली तमिलनाडु के एक गांव के लोगों में अफरातफरी का माहौल देखने को मिला। हालांकि केन्द्र सरकार ने NPR (National Population Register) के बारे में जितनी जानकारियां दी है, उससे देखते हुए ये जनगणना जैसी सामान्य प्रक्रिया दिखती है। लेकिन फिर भी लोगों के बीच आंशकाओं के बादल घिरे हुए है।
गौरतलब है कि तमिलनाडु में कयालपट्टिनम गांव की सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में बैंक प्रशासन द्वारा एक विज्ञापन चस्पा किया गया था। आरबीआई के इस विज्ञापन में NPR के दस्तावेज़ को केवाईसी के लिए वैध बताया गया था। जिसके बाद इलाके में अफरातफरी का माहौल मच गया। लोग अपने बैंक खातों से सारे पैसे निकलवाने के लिए बेचैन दिखे। पैसे निकलवाने वालों में मुस्लिम समुदाय के लोगों तादाद ज़्यादा थी।
पैसे निकलवाने के लिए जिस तरह से लोगों में होड लगी थी, उसे देखकर बैंककर्मियों के हाथ पांव फूल गये। मामलों को पेचीदा होता देख बैंक के वरिष्ठ कर्मी भी लोगों को ये समझाने में बेबस हो गये कि, आखिर क्यों आरबीआई ने ऐसा किया। कुछ ऐसी ही खब़रे इलाके के आसपास के कई दूसरे बैंक शाखाओं से आती दिखी। तीन दिन से कम वक़्त में लोगों ने भारी रकम बैंक खातों से निकलवा ली। इस कवायद पर लगाम कसने के लिए बैंक प्रबन्धन के वरिष्ठ कर्मी सामुदायिक नेताओं और जम़ातो के सम्पर्क में है। अब मुश्किल ये भी है कि वो बैंक ग्राहक बैंक की ओर वापसी करेगें या नहीं।
गौरतलब ये भी है कि इलाके में कई दूसरे बैंकों ने केवाईसी के लिए एनपीआर को जोड़ा नहीं है। सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के जनसम्पर्क प्रमुख ने इस वाकये को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। और साथ ही लोगों फैली अफरा-तफरी को बेबुनियाद बताया। इलाके के लोगों ने इस पूरे मामले को नोटबंदी से जोड़ते हुए बताया कि, वो दुबारा से घंटो-घंटो लाइनों में खड़ा नहीं होना चाहते।
इसके साथ ही इलाके के लोगों ने केन्द्र सरकार की ओर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि- सरकार का ये कदम अप्रत्याशित और नोटबंदी की तरह है। सरकार नोटबंदी को गेमचेंजर फैसले के तौर पर बताती रही। अगर नोटबंदी इतना ही बड़ा क्रान्तिकारी कदम था तो, मंहगाई दर कम क्यों नहीं हुई ? अगर काला-धन मौजूदा कैश फ्लो में आ गया तो अर्थव्यवस्था मंदी क्यों पड़ी है ? क्या मूडीज, आरबीआई की रिसर्च, आईएमएफ के दावे भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर खोखले है ?