न्यूज़ डेस्क (दिगान्त बरूआ): Odisha के बालेश्वर जिले में रेमुणा ब्लॉक (Remuna block in Baleshwar district) के अन्तर्गत कुछ मछुआरे समुद्र तट से 250 किलोमीटर दूर मशीन वाली बोट के जरिए मछली पकड़ने गये थे। इस दौरान मछुआरों को जाल में राकेट मिलने से इलाके में सनसनी फैल गयी। जैसे मछुआरों ने जाल को समुद्र के अन्दर फेंका तो उन्हें किसी भारी चीज़ के फंसने की आंशका हुई, काफी जोर लगाने के बाद जब जाल बाहर निकाला गया तो आठ फीट लंबा 50 किलोग्राम भारी रॉकेट की बरामदगी की गयी।
मछुआरे रघुनाथ दास अन्य सात साथी मछुआरें रॉकेट को देखकर हैरान रह गये। मौके पर स्थानीय प्रशासन को सूचना दी गयी। इतने में ही तट पर इसे देखने वालों का तांता लग गया। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस की तैनाती की गयी। रॉकेट प्रशासन ने अपने कब़्जे में ले लिया। इंटीग्रेटिड टेस्टिंग रेंज के निदेशक विनय कुमार दास (Vinay Kumar Das, Director, Integrated Testing Range) ने मीडिया को बताया कि- इस रॉकेट का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना नियमित रूप से अभ्यास के लिए करती रही है। इसे रिमोट सेसिंग द्वारा नियन्त्रित (Controlled by remote sensing) किया जाता है। ऐसे में घबराने की कोई बात नहीं है।
इसका इस्तेमाल भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) अपने निशाने की सटीकता साधने के लिए करती है। लड़ाई के दौरान दुश्मनों के ठिकाने को कितनी बारीकी और कारगर तरीके से नेस्तनाबूत किया जा सकता है। इसे जांचने में ये रॉकेट काफी मददगार होता है। इसकी बॉडी कार्बन फाइबर (carbon fiber Body) की बनी हुई है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल करने के बाद इसे एयरफोर्स दुबारा हासिल करने के जद्दोजहद में नहीं पड़ती है। कयास ये भी लगाये जा रहे है कि, नियमित अभ्यास के दौरान ये क्षमताओं की जांच और सटीकता के नतीज़ों (Capability testing and accuracy of results) के विश्लेषण में काफी मददगार है।