न्यूज डेस्क (यामिनी गजपति): विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बीते रविवार (28 नवंबर 2021) को कोरोना के नये एडिशन ओमाइक्रोन (Omicron) के बढ़ते खतरों के बीच कहा कि- ये अभी भी साफ नहीं है कि ओमाइक्रोन एडिशन डेल्टा या कोरोना वायरस के दूसरे वेरिएंट के मुकाबले ज़्यादा फैलने वाला है। डब्ल्यूएचओ ने ये भी कहा कि अभी तक ये नहीं बता सकते है कि ओमाइक्रोन डेल्टा और अन्य ज्ञात कोरोना के रूपों के मुकाबले में ज़्यादा गंभीर बीमारी का कारण बनता है या नहीं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि “ये दुबारा संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है। लेकिन मौजूदा टीके मौत और बीमारी के खिलाफ प्रभावी रहते हैं,”
कुछ अध्ययनों ने दावा किया है कि ओमाइक्रोन दुबारा इंफेक्शन के जोखिम को बढ़ा सकता है, जिसका मतलब है कि जिन लोगों ने पहले कोविड-19 का परीक्षण किया गया था, वो ओमाइक्रोन से दुबारा इंफेक्टिड हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ ने इस मुद्दे पर कहा कि इस बारे में जानकारी बेहद कम है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि, "मौजूदा वक़्त में ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि ओमाइक्रोन से जुड़े लक्षण दूसरे कोरोना टाइपों से अलग है। कोरोना का टीका गंभीर बीमारी और मौत का खतरा कम करने में काफी अहम है। कुछ इसी तरह का पैटर्न डेल्टा वेरियंट (Delta variant) पर भी लागू होता है” Omicron कोरोना वायरस का B.1.1.1.529 प्रकार है और ये पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था। डब्ल्यूएचओ ने बीते शुक्रवार (26 नवंबर 2021) को ओमाइक्रोन को वेरियंट ऑफ कंसर्न (Variant Of Concern) माना था।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस (WHO Director-General Tedros Adhanom Ghebreyesus) के मुताबिक ओमाइक्रोन वैरिएंट कोरोना वैक्सीन को धोखा देने की काबिलियत रखता है। इस मसले पर उन्होनें ट्विट कर लिखा कि- हम वैक्सीन इक्विटी देने में जितना ज़्यादा समय लेते हैं, उतना ही हम कोरोना वायरस को फैलने, बदलने और संभावित तौर पर ज़्यादा खतरनाक होने का मौका देते है। डब्ल्यूएचओ दुनिया भर के वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहा है ताकि ओमाइक्रोन एडिशन के प्रमुख पहलुओं और इक्विपमेंट पर इसके असर को बेहतर ढंग से समझा जा सके।