नई दिल्ली (हेल्थ डेस्क): Omicron variant: कोरोना के नये वेरियंट को सबसे पहले 25 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ट्रैक किया। 26 नवंबर को WHO ने दक्षिण अफ्रीका में पाये गये नये वेरियंट को ‘Omicron’ नाम दिया। डब्ल्यूएचओ ने ओमाइक्रोन को ‘वेरियंट ऑफ कंसर्न’ के तौर पर वर्गीकृत किया है। इस म्यूटेशन (Mutation) की खोज के बाद से दर्जनों देशों ने दक्षिणी अफ्रीकी देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिये हैं। हालांकि एक और थ्योरी सामने आयी है, जिसमें दावा किया गया है कि इस वेरियंट की पैदाइश चूहों से हुई है।
कुछ वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना का ओमाइक्रोन वेरियंट अमानवीय पशु प्रजाति में विकसित हो सकता है, जो कि मुमकिन तौर पर चूहों की कोई प्रजाति हो सकती है। माना जा रहा है कि साल 2020 के दौरान कुछ तरह के जानवर या संभावित तौर पर चूहे SARS-CoV-2 वायरस से संक्रमित थे, जिसे आमतौर पर COVID-19 या कोरोनावायरस के नाम से जाना जाता है। इन चूहों में इंसानों के संक्रमित होने से पहले स्पाइक प्रोटीन (Spike Protein) पर लगभग 50 म्यूटेशन इकट्ठा हुए। जिससे कोरोना वायरस की दूसरी जातियों का जन्म हुआ।
पशुओं से इंसानों में किसी तरह का संक्रमण फैलने के मामलों को जूनोटिक कहा जाता है, जबकि रिवर्स ज़ूनोसिस तब होता है जब ऐसा रोगज़नक़ वायरस जानवर में वापस चला जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के इम्यूनोलॉजिस्ट क्रिस्टियन एंडरसन (Immunologist Christian Andersen) के दिमाग में ये ख्याल आया कि ओमाइक्रोन रिवर्स ज़ूनोटिक घटना (Reverse Zoonotic Phenomenon) से उभरा हो सकता है।
एंडरसन का कहना है कि ओमाइक्रोन वेरियंट कई तरह के म्यूटेशन के बाद बनता है, इसलिए ये मुमकिन है कि ये रिवर्स ज़ूनोसिस के प्रोसेस से गुजरा हो। कुछ वैज्ञानिकों का ये भी तर्क है कि कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्ति में कोरोनावायरस ने नये रूपों को विकसित करने के लिये खुद को म्यूटेंट किया हो। हालाँकि ये साबित करने के लिये फिलहाल पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं हैं।
एक अन्य दूसरे स्पेशलिस्ट तुलाने मेडिकल स्कूल में माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर रॉबर्ट गैरी का कहना है कि ओमाइक्रोन में 32 में से 7 म्यूटेंट होते हैं, जो चूहों को संक्रमित कर सकते हैं। जबकि कोरोनावायरस के पहले वेरिएंट अल्फा में सिर्फ सात म्यूटेशन थे। हालांकि गैरी अभी भी इस बात को लेकर दुविधा में है कि क्या ओमाइक्रोन वेरियंट जानवरों से पैदा हुआ है या मनुष्यों में विकसित हुआ है।
ओमाइक्रोन वेरियंट में एक जीन होता है, जो चूहों को संक्रमित करता है। फिलहाल इस बात की वैज्ञानिक पुष्टि की गयी है क्योंकि इस वेरियंट में जितने म्यूटेशन देखे गये हैं, वो अब तक वायरस के किसी दूसरे वेरियंट में नहीं देखे गये हैं। इसलिए वैज्ञानिक भी इसे इस नजरिये से देख रहे हैं कि ये चूहों में विकसित हुआ होगा।
एरिज़ोना विश्वविद्यालय के इवोल्यूशिनरी बॉयोलॉजिस्ट माइक वोरोबी (Evolutionary biologist Mike Voroby of the University of Arizona) का कहना है कि ये बेहद ही आश्चर्यजनक वेरियंट है, क्योंकि अगर ये कोरोना वेरियंट किसी जीव को पुरानी बीमारी से संक्रमित कर सकता है। ये अपने कई और खतरनाक रूपों में इंसानों के सामने आ सकता है। हालांकि माइक इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि ये वेरियंट चूहों से पैदा हुआ है, लेकिन उनका मानना है कि ये कमजोर इम्यून सिस्टम वाले शख़्स के शरीर में विकसित हुआ है।
ओमाइक्रोन की पैदाइश के बारे में एक दूसरी थ्योरी के मुताबिक, कमजोर इम्यून सिस्टम वाला शख़्स कोरोनवायरस के एक प्रकार से संक्रमित होना चाहिए। साथ ही उसे किसी तरह का पुराना संक्रमण भी हुआ होगा, जिसके कारण शरीर में कोरोनावायरस धीरे-धीरे अपना रूप बदलता रहा। यानी ये बदलता रहा और ये इतना बदल गया कि ये खतरनाक ओमाइक्रोन वेरियंट के तौर पर तब्दील हो गया।
दूसरी ओर बर्लिन के चैरिटे यूनिवर्सिटी अस्पताल के वायरोलॉजिस्ट क्रिश्चियन ड्रोस्टन (Virologist Christian Drosten) इन दोनों सिद्धांतों से इनकार करते हैं। उनका कहना है कि ओमाइक्रोन पहली बार कमजोर वायरल निगरानी वाली आबादी में दिखायी दे सकता है। ये वहां विकसित हुआ होगा और संक्रमण फैला रहा होगा। लेकिन इस वेरिएंट पर किसी का ध्यान नहीं गया। ड्रोस्टन को लगता है कि इस वायरस की पैदाइश दक्षिण अफ्रीका में नहीं हुई थी क्योंकि वहां बहुत सारी जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) चल रही थी। इसके बजाय ये सर्दियों के मौसम में दक्षिण अफ्रीका के सुदूर दक्षिणी इलाके में विकसित हुआ होगा।