न्यूज़ डेस्क (प्रियंवदा गोप): गाजीपुर से बहुजन समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी (MP Afzal Ansari) द्वारा दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और जस्टिस अजीत कुमार की अगुवाई वाली न्यायिक खंडपीठ (Judicial bench) ने मस्जिद से लाउडस्पीकर पर अज़ान देने के मसले पर बड़ा फैसला सुनाते हुए, इसे इस्लामिक परंपराओं (Islamic traditions) का हिस्सा मानने से इंकार कर दिया। और कहा मस्जिद से लाउडस्पीकर पर अज़ान देना दूसरे लोगों के अधिकारों का हनन है। लिहाजा इस पर लगाए गए प्रतिबंध वैध है। माननीय न्यायालय ने साफ तौर पर माना कि अज़ान देना इस्लामिक परंपराओं का हिस्सा है लेकिन अज़ान देने के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल गैर इस्लामिक है। हालांकि मस्जिद (Mosque) से इंसानी आवाज में दी गई अज़ान पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। ध्वनि प्रदूषण से मुक्त नींद जीवन का मूल अधिकार है। आधारहीन धार्मिक परंपराओं (Baseless religious traditions) के नाम पर किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि, गाजीपुर से बहुजन समाजवादी पार्टी (Bahujan Samajwadi Party) के सांसद अफजाल अंसारी ने मस्जिदों की अज़ान के लिए लगे लाउडस्पीकर्स (Loudspeaker) पर प्रतिबंध के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) का दरवाजा खटखटाया था। लॉकडाउन के दौरान जिलाधिकारी ने अज़ान के लिए इस्तेमाल होने वाले लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगाया था। फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजीपुर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (District Magistrate) के आदेश को जारी रखते हुए, लाउडस्पीकर के बगैर अज़ान देने का फरमान जारी किया। साथ ही कोर्ट ने माना कि, अज़ान देने से केंद्र सरकार द्वारा जारी Covid-19 के किसी भी दिशा निर्देश (guidelines) का उल्लंघन नहीं होता।
न्यायिक खंडपीठ ने फैसले को लागू करने के लिए मुख्य सचिव सहित सभी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स को लिखित फरमान जारी कर दिया। कोर्ट ने अफजाल अंसारी और सैयद मोहम्मद फैजल (Syed Mohammad Faizal) द्वारा दायर की गई याचिकाओं (Petitions) को खारिज कर दिया। दायर की गई याचिका में हवाला दिया गया था कि- लाउडस्पीकर से अज़ान ना देने पर समुदाय विशेष की धार्मिक स्वतंत्रता (Religious freedom) का उल्लंघन होता है। याचिका के बिंदुओं पर गौर करते हुए चीफ जस्टिस गोविंद माथुर (Chief Justice Govind Mathur) ने याचिका की सुनवाई के लिए हरी झंड़ी देते हुए मामले पर सरकार को अपना रूख़ साफ करने को कहा। दोनों पक्षों की दलीलें (Arguments) सुनने के बाद न्यायिक खंडपीठ ने ये फैसला दिया।
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