न्यूज डेस्क (आदर्श शुक्ला): उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath of Uttarakhand) को आधिकारिक तौर पर भूस्खलन-धराशायी इलाके के तौर पर चिन्हित किया गया है, राज्य और केंद्र सरकार (Central Government) इस इलाके से परिवारों को निकालने की दिशा में काम कर रही है क्योंकि यहां की जमीन लगातार डूब रही है, जिससे कई सुरक्षा खतरे पैदा हो रहे हैं। जोशीमठ का मैदान कई सालों से डूब रहा है, जलवायु परिवर्तन और ढांचागत परियोजनाओं का असर आवासीय इलाकों पर पड़ रहा है। जोशीमठ में सड़कों और घरों में गहरी दरारें दिखायी दे रही हैं, इससे साफ दिखायी देने लगा है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
सरकार ने इलाके के सर्वेक्षण का आदेश दिया, जिसके बाद ये आधिकारिक तौर पर पुष्टि हुई कि जोशीमठ डूब रहा है। इसकी अहम वजह जोशीमठ में बड़े पैमाने पर पर्यटकों की आवाजाही और कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को माना जाता है, जिससे पर्यावरणीय जटिलतायें पैदा होती हैं। जबकि परिवारों को इस डूबते संकट के बाद जोशीमठ से निकाला जा रहा है, विशेषज्ञों का मानना है कि इसी तरह का हश्र उत्तराखंड के कुछ दूसरे शहरों जैसे कि उत्तरकाशी और नैनीताल का भी हो सकता है, जहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तराखंड (Uttarakhand) के कुछ कस्बे और जोशीमठ एक जैसे हालातों का सामना कर रहे है और जमीन से थोड़ा नीचे धंस सकते हैं, जिससे हजारों लोगों के लिये तबाही और घरों का नुकसान हो सकता है। ये शहर हैं उत्तरकाशी और नैनीताल।
विशेषज्ञों ने हाल ही में कहा है कि उत्तरकाशी और नैनीताल (Uttarkashi and Nainital) में हर साल बड़ी तादाद में लोग आते हैं, साथ ही साथ पर्यटन की वजह से विकासात्मक परियोजनायें भी शुरू होती हैं, इसलिये शहर की सतह के डूबने का जोखिम बहुत ज्यादा है, जैसा कि जोशीमठ में हो रहा है।
पिछले साल जारी एक अध्ययन के मुताबिक, नैनीताल कुमाऊं लघु हिमालय की गोद में बसा हुआ है और शहर को ढंकने वाला आधा मलबा भूस्खलन से पैदा हुआ है, जिससे ये अस्थिर हो गया है। कुमाऊं विश्वविद्यालय (Kumaun University) में भूविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. बहादुर सिंह कोटलिया (Geology Professor Dr. Bahadur Singh Kotlia) ने चेतावनी दी कि नैनीताल में भी जमीन धंस सकती है।
डॉ कोटलिया ने अपने अध्ययन में कहा कि, “जो हम जोशीमठ में देख रहे हैं, वो बहुत आसानी से और जल्द ही नैनीताल, उत्तरकाशी और चंपावत (Champawat) में देखा जा सकता है, जो भूकंपीय गतिविधि, फॉल्टलाइन के रिएक्टिवएशन और भूकंप से प्रभावित होने की वजह से बेहद संवेदनशील हैं। बढ़ती जनसंख्या और बेतहाशा निर्माण गतिविधियों जमीन पर जरूरत से ज्यादा जोर डाल रही है। इन शहरों (नैनीताल, उत्तरकाशी और चंपावत) की बुनियाद बहुत खराब है, जो उन्हें बहुत कमजोर बनाती है।”
केंद्र सरकार ने ये सुनिश्चित करने के लिये कई कदम उठाये हैं कि जोशीमठ के लोग सुरक्षित हैं और स्थिति नियंत्रण में आने तक स्थानीय लोग शरणार्थी शिविरों में चले गये हैं।