स्पोर्ट्स डेस्क (नई दिल्ली): 22 November, 1974 को बैंगलोर (अब बेंगलुरु) के चिन्नास्वामी स्टेडियम (Chinnaswamy Stadium) में एक ही मैच में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत करने वाली सबसे बड़ी जोड़ी Gordon Greenidge और Vivian Richards को देखा गया था। यह मेजबान भारत और क्लाइव लॉयड (Clive Lloyd) की अगुवाई वाली वेस्टइंडीज के बीच श्रृंखला का पहला टेस्ट था। यह पहला मौका था जब दुनिया ने Gordon Greenidge और Vivian Richards की जोड़ी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वेस्टइंडीज के लिए पहला मैच खेलते हुए देखा था।
ग्रीनिज ने एक इस सपने की शुरुआत करते हुए टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहली दो पारियों में 93 और 107 रन बनाएं। पहली बार संयुक्त रूप से टेस्ट मैच में 200 रन का कुल स्कोर टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में 10 वां स्थान है और लॉरेंस रोवे के बाद एक वेस्टइंडीज बल्लेबाज के लिए दूसरा सबसे बड़ा स्थान है।
दूसरी ओर, रिचर्ड्स (Vivian Richards) के बल्ले से किस तरह का जलवा देखने को मिलेगा इसका किसी को भी कोई अंदाज़ा नही था। रिचर्ड्स दोनों पारियों में 7 रन (4 और 3) के कुल स्कोर पर आउट हो गये।
भारत ने पहली पारी में. वेस्टइंडीज के 289 रन के कुल लक्ष्य के जवाब में 260 रन बनाये। लेकिन मेहमान टीम ने दूसरी पारी में 356 रनों का स्कोर खड़ा किया और भारत को जीत के लिए 386 रनों का लक्ष्य दिया जिसके बाद भारतीय टीम 118 रन पर ही सिमट गई।
Greenidge ने 108 टेस्ट मैच में 19 शतकों सहित 44.72 की औसत से 7558 रन बनाए और इसे टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे महान और सबसे धुआधार सलामी बल्लेबाजों में से एक माना जाता है।
रिचर्ड्स के 121 टेस्ट में 50.23 के औसत से 8540 रन बनाये और उनके कारनामों में 24 शतक भी शामिल थे। उनके पास टेस्ट क्रिकेट में लगभग 70 की स्ट्राइक रेट थी और उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे खतरनाक और क्रूर बल्लेबाज माना जाता है।
1975 से 1990 के बीच 15 वर्षों तक ग्रीनिज और रिचर्ड्स ने सबसे अधिक समय तक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों की हालत ख़राब करते हु वर्चस्व कायम किया और वेस्ट इंडीज की तरफ से विश्व का एक अभिन्न हिस्सा थे जो जून 1980 से मार्च 1995 तक टेस्ट क्रिकेट में अपराजित रहे थे।
उनका ऐसा दबदबा और प्रभाव था कि वेस्टइंडीज ने वो मैच कभी भी नहीं हारे जिसमें ग्रीनिज ने शतक बनाया।