नई दिल्ली (निकुंजा राव): आज से दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के छात्रों के लिए ऑनलाइन एक्जाम शुरू हो गये है। ऑनलाइन परीक्षा का ये दौर छात्रों के लिए खासतौर काफी स्ट्रेसफुल रहेगा, क्योंकि सवालों से ज़वाब याद होने के साथ उन्हें कई तकनीकी चीज़ों जैसे डाउनलोड, अपलोड, पासवर्ड और इंटरनेट नेटवर्क का भी ध्यान रखना होगा। जिसके लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से पहले ही जानकारी दे दी गयी है। इन टैक्निकल झंझटों से बचने के लिए एक टैक्निकल बनायी गयी है। जिसमें कई प्रोफेसरों को शामिल किया गया है। छात्रों को ऑनलाइन पुस्तक परीक्षा के बारे में भी ब्रीफिंग दी गयी है।
इन एक्ज़ाम्स में करीब 1.25 लाख फर्स्ट ईयर स्टूडेंट ऑनलाइन आंसर शीट पर ज़वाब लिखेगें। इसमें कॉलेजों, नॉन-कॉलेजिएट और एसओएल के छात्रों को भी शामिल किया गया है। परीक्षा में बैठने वाले छात्रों को किसी तरह की मदद मुहैया कराने के लिए प्रोफेसरो और सीनियर छात्रों की संयुक्त टीम बनायी गयी है। दिल्ली शिक्षक संघ (DTA) और छात्र संगठन CYSS द्वारा गठित इस विशेष टीम में उन शिक्षकों और छात्रों को शामिल किया गया है जिन्हें यूनिवर्सिटी के एक्जाम प्रोसिज़र की पूरी जानकारी है।
समिति में हंसराज सुमन संयोजक और कमल तिवारी सहसंयोजक हैं। सहायक प्रोफेसर सुनील कुमार, मनोज कुमार सिंह और नरेंद्र पांडे भी इस कमेटी का हिस्सा हैं। छात्रों को निर्देश दिया गया है कि वे विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाये और परीक्षा देने से जुड़ी सभी जानकारियां हासिल करे। छात्र वक्त रहते अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड करें। एक्ज़ाम से जुड़ा कोई भी काम रजिस्टर्ड ईमेल आईडी पर ही करें। इस दौरान छात्रों को प्रश्न पत्र डाउनलोड करने और उत्तर पुस्तिकाओं को उसी ईमेल-आईडी के साथ अपलोड करने की जरूरत होगी, जिसे छात्रों ने प्री एक्जाम प्रोसिज़र (Pre exam procedure) के दौरान दर्ज करवाया था।
एक्ज़ाम से पहले छात्रों को अपनी ईमेल आईडी और उसका पासवर्ड को याद रखना होगा। जिसके लिए उन्हें इसे कहीं सुरक्षित लिखने और याद करने की हिदायत दी है। आंसर शीट जमा करवाते समय इसे पीडीएफ में कन्वर्ट करके पासवर्ड प्रोटेक्टिड करना होगा। अगर ऐसा नहीं होगा तो चेकर इसे ना ही तो खोलेगा और ना ही इसका मूल्यांकन करेगा। छात्रों को हर ज़वाब के साथ एक अलग पीडीएफ बनानी होगी। जिसका साइज़ 7 एमबी से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। मिसाल के तौर पर अगर छात्रों चार सवालों से ज़वाब लिखता है तो उसे हर सवाल के ज़वाब में चार PDF बनाने होंगे और सभी का साइज 7MB से कम होना चाहिए।
छात्रों को अपने क्वेश्चन पूरा करने के लिए तीन घंटे और आंसर शीट अपलोड करने के लिए एक घंटे का वक़्त मिलेगा। इस कवायद के लिए दिव्यांग छात्रों (Students with disabilities) को कुल छह घंटे दिए जाएंगे। समय का ख्याल रखते हुए छात्र को सलाह दी गयी है कि अपलोडिंग के वक़्त का इस्तेमाल सिर्फ अपलोडिंग के लिए करना चाहिए ताकि बाद में आने वाली किसी भी तरह की नेटवर्क की दिक्कतों से बचा जा सके। एक्नॉलेजमेंट के तौर पर छात्र किसी अहम स्टेप, सवाल और ज़वाब का स्क्रीनशॉट ले सकेगें। आंसर शीट दाखिल करते समय भी रिसीविंग के तौर पर स्क्रीनशॉट लिया जा सकता है। जिसे यूनिवर्सिटी प्रशासन पूरी तरह मान्य करेगा।
अगर किसी वज़ह से आंसर शीट अपलोड करने में कोई तकनीकी खामी आयी और छात्र वक्त रहते एक्ज़ाम की कवायद को पूरा ना करे पाये तो ऐसे हालातों में स्क्रीनशॉट काफी मददगार होगा। साथ ही कॉलेज इसे कभी सबूत के तौर पर छात्र से मांग सकता है। अगर किसी वज़ह से चेकर ने आंसर शीट का गलत मूल्यांकन किया है तो ऐसे में भी स्क्रीनशॉट की मदद ली जा सकती है। आंसर शीट अपलोड करने के लिए सिर्फ और सिर्फ एक घंटे का समय दिया जायेगा। आखिर में आंसर शीट का पीडीएफ अपलोड कामयाब ढंग से अपलोड करने के बाद रिसीविंग जनरेट होगी। जिसका मतलब होगा कि परीक्षा का दस्तावेज़ (आंसर शीट) जमा हो चुकी है, दूसरी शब्दों में कहें तो एक्जाम पूरा हो गया।