Online Gaming: भारत में 23 साल की उम्र तक के 88 फीसदी युवाओं का मानना है कि वे टाइम पास करने के लिये किसी भी अन्य गतिविधि से ज्यादा ऑनलाइन गेम खेलना पसंद करते हैं। शौक के लिये कुछ देर ऑनलाइन गेम खेलने या टाइम पास करने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन समस्या तब पैदा होती है जब ये शौक एक बुरी आदत में बदल जाता है जिसे गेमिंग एडिक्शन कहते हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने सभी स्कूलों और अभिभावकों के लिए एडवाइजरी (Advisory) जारी की है लेकिन भारत में ये समस्या किसी एक राज्य या शहर की नहीं है, भारत के करोड़ों माता-पिता अपने बच्चों की इस लत से परेशान हैं। तो चलिये सबसे पहले आपको दिल्ली के स्कूलों और इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को जारी की गयी एडवाइजरी के बारे में बता देते हैं। फिर हम सवाल उठाएंगे कि ऑनलाइन गेमिंग की लत एक राष्ट्रीय समस्या क्यों बन गयी है और इससे बचने के लिये क्या किया जा सकता है।
दिल्ली सरकार ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि माता-पिता और शिक्षक बच्चों को बताये कि लगातार कई घंटों तक ऑनलाइन गेम खेलने से उनके शारीरिक और मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा बच्चों को समझाया जाये कि वे ऑनलाइन गेम खेलते समय किसी अनजान शख़्स से वेबकैम, ऑडियो, प्राइवेट मैसेज या ऑनलाइन चैट के जरिये बात न करें क्योंकि इससे इंटरनेट पर हिंसा का खतरा बढ़ सकता है।
इसके अलावा माता-पिता को ये भी ध्यान रखने के लिये कहा गया है कि वे अपने बच्चों को इन ऐप की खरीदारी करने की इज़ाजत न दें और पेमेंट मोड को मोबाइल फोन या स्मार्ट टीवी पर इस तरह सेट करें कि बिना ओटीपी के बच्चे अपने दम पर कुछ भी नहीं खरीद सकें। आमतौर पर कई मोबाइल गेमिंग में एडवांड मोड (Advanced Mode) या सुविधा लेने के लिये लोग अतिरिक्त पैसों का भुगतान करते है।
इसके अलावा गेमिंग ऐप्स में डेबिट या क्रेडिट कार्ड रजिस्टर करने से बचें क्योंकि अगर ऐप में कार्ड डिटेल्स (Card Details) नहीं होंगे तो बच्चे इन-ऐप खरीदारी भी नहीं कर पायेगें। शिक्षक और माता-पिता बच्चों को समझाये कि वे किसी अज्ञात स्रोत से कोई सॉफ्टवेयर या गेम डाउनलोड न करें। इसके अलावा बच्चों को सिखाया जाना चाहिये कि वे इंटरनेट पर किसी भी नये लिंक, पॉप-अप या इमेज पर क्लिक न करें क्योंकि इसमें वायरस और पोर्न कॉन्टेंट भी हो सकता है।
गेम खेलते या डाउनलोड करते समय, अपने निजी विवरण दर्ज करने से बचें क्योंकि साइबर क्रिमिनल इसका गलत इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
ये एडवाइजरी यह भी बताती है कि माता-पिता और शिक्षकों को क्या करना चाहिये। अगर गेम खेलते समय ऐसा लगे कि कुछ गलत हो रहा है तो तुरंत रूक जाये और गेम का स्क्रीनशॉट लें। माता-पिता को बच्चों को बताना चाहिए कि गेम खेलते समय अपने असली नाम का इस्तेमाल करने के बजाय उन्हें एक स्क्रीन नाम का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसे अवतार कहा जाता है।
बच्चे द्वारा खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम की आयु रेटिंग की जांच करना सुनिश्चित करें। यानि अगर कोई गेम आपके बच्चे की उम्र के हिसाब से सही नहीं है तो आपको उसे वो गेम नहीं खेलने देना चाहिए। अगर कोई ऑनलाइन गेम खेलते समय कोई आपके बच्चे को परेशान कर रहा है तो अपने बच्चे से तुरंत प्रतिक्रिया न करने के लिये कहें, बल्कि आप उस व्यक्ति की शिकायत पुलिस में करें।
कभी-कभी आपको भी अपने बच्चे के साथ ऑनलाइन गेम खेलना चाहिये ताकि आप जान सकें कि गेम खेलते समय आपका बच्चा कैसा व्यवहार करता है। इसके अलावा शिक्षकों और अभिभावकों को बच्चों को समझाना चाहिये कि ऑनलाइन गेम इस तरह से डिजाइन किये गये हैं कि वे ज्यादा से ज्यादा पैसा खर्च करें। इसलिए बच्चों को ऑनलाइन गेम्स पर पैसे खर्च करने से बचना चाहिये।
माता-पिता के तौर पर आपको सावधान रहने की जरूरत है जब आपका बच्चा अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को आपसे छिपाना शुरू कर दे। अगर आपका बच्चा अचानक से इंटरनेट पर बहुत ज्यादा समय बिताने लगे तो भी सावधान रहें। आपके पूछने पर अगर बच्चा अचानक अपने डिजिटल डिवाइस की स्क्रीन बदल देता है तो समझ लें कि वो कुछ ऐसा कर रहा है जो उसे नहीं करना चाहिये।
अगर आपका बच्चा इंटरनेट का इस्तेमाल करने के बाद अचानक चिड़चिड़ा हो जाता है तो ये इस बात की ओर इशारा है कि कुछ गड़बड़ है। इसके अलावा अगर आपको अचानक अपने बच्चे के डिजिटल डिवाइस पर बहुत सारे फोन नंबर या ई-मेल पते दिखाई देते हैं तो भी आपको सावधान रहने की जरूरत है।
लॉकडाउन के बाद से भारत में ऑनलाइन गेम खेलने वालों की तादाद तेजी से बढ़ी है और इसमें बच्चे से लेकर बड़े भी शामिल हैं। भारत के लोग अब ऑनलाइन गेम खेलने में औसतन 218 मिनट प्रतिदिन बिता रहे हैं, पहले ये 151 मिनट था। साल 2020 में जब पहली बार लॉकडाउन लगाया गया था, तब भी शुरुआती कुछ महीनों में भारत में 700 करोड़ से ज्यादा बार अलग-अलग डिजिटल डिवाइसेज पर ऑनलाइन गेम्स इंस्टॉल किये गये थे।
लेकिन ज्यादातर बच्चे ऑनलाइन गेम्स की इस लत के शिकार हो रहे हैं क्योंकि वे इसके खतरों को ठीक से नहीं समझ पाते हैं तो अगर आपके बच्चे हैं जिन्हें ऑनलाइन गेम खेलने का शौक है तो आपको उन्हें अपने पास बुलाना चाहिये।
मौजूदा हालातों में भारत में Google Playstore पर 3 मिलियन से ज़्यादा मोबाइल फ़ोन एप्लिकेशन हैं। इनमें से 4,44,226 ऑनलाइन गेमिंग ऐप हैं। और इन गेमिंग ऐप्स में से 19,632 ऐप्स भारत में ही विकसित किये जा चुके हैं। साल 2018 में भारत में ऑनलाइन गेम खेलने वाले यूजर्स की संख्या 26.9 करोड़ थी। साल 2020 में ऐसे यूजर्स की संख्या बढ़कर 36.5 करोड़ हो गयी और अनुमान है कि साल 2022 में ये तादाद 51 करोड़ होगी।
साल 2019 में भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की वैल्यू 8,300 करोड़ रुपये थी। लेकिन अनुमान है कि साल 2022 तक ये वैल्यू बढ़कर 21 हजार करोड़ रुपये हो जायेगी। भारत की तरह चीन भी ऑनलाइन गेमिंग का बहुत बड़ा बाजार है। लेकिन अब चीन की सरकार ने वहां के बच्चों को नशे से बचाने के लिये नये नियम बनाए हैं, जिसके मुताबिक चीन की ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे हफ्ते में तय दिनों पर तय घंटों के लिये ही ऑनलाइन गेम खेल सकें। ऐसा नहीं करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई होगी।
अगर भारत में बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचाने के उपाय नहीं किये गये तो आने वाले दिनों में भारत में भी ऐसे ही नियमों की जरूरत पड़ेगी।