न्यूज डेस्क (स्तुति महाजन): केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए आज (12 अगस्त 2021) विपक्षी दलों (Opposition Parties) ने संसद भवन से विजय चौक के बीच पैदल मार्च (Foot March) निकाला। विपक्षी दल लगातार दावा कर रहे हैं कि मॉनसून सत्र के दौरान उनके पक्ष को लगातार बेरूखी के साथ अनसुना किया जाता रहा। इस मुद्दे को लेकर राज्यसभा नेता प्रतिपक्ष मलिक्कार्जुन खड़गे की अगुवाई में बैठक बुलाई गयी। जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए।
मार्च निकालने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि पेगासस जासूसी कांड (Pegasus Snooping Scandal) पर हमने लगातार सरकार से सदन में बहस कराने की गुजारिश की लेकिन सरकार का रवैया काफी निराशापूर्ण रहा और इस पर आज तक संसद में चर्चा नहीं हो सकी। हम लगातार किसानों के मुद्दे को उठा रहे हैं, इसी वजह से ये मार्च निकाला गया। विपक्ष को मोदी सरकार संसद के अंदर बोलने का मौका नहीं दे रही है। ये साफ तौर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था (Democratic System) की हत्या है।
मौजूदा हालातों पर बयान जारी करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार (Nationalist Congress Party supremo Sharad Pawar) ने कहा कि, बीते बुधवार सदन में ऐसी घटना हुई जो कि देश के लोकतांत्रिक 55 सालों के इतिहास में नहीं देखी गयी। संसदीय राजनीति में महिला सांसदों पर सदन के भीतर हमला किया गया। संसदीय कार्रवाई के दौरान सांसदों पर काबू पाने के लिए 40 से ज्यादा महिला और पुरुषों को बाहर से संसद के भीतर लाया गया।
दूसरी ओर टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन समेत कई विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार किया। इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने कहा कि संसद की सुरक्षा में लगी महिला सुरक्षाकर्मियों ने विपक्षी महिला सांसदों के साथ धक्का-मुक्की कर उनका अपमान किया। केंद्र सरकार ने गैर जिम्मेदाराना रवैया अख्तियार करते हुए मारपीट और धक्कामुक्की की बात को नकार दिया राज्यसभा में सरकार का ये रवैये नाकाबिले बर्दाश्त है।
इसी मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी (Shiv Sena MP Priyanka Chaturvedi) ने कहा कि, मोदी सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात करती है लेकिन जब महिला सांसद अपनी आवाज बुलंद करती हैं तो उन्हें बेरहमी से कुचला जाता है। जिस तरह संसद के ऊपरी सदन में महिला सांसदों के साथ बदतमीजी हुई, उन्हें धमकी दी गयी। सुरक्षाकर्मियों ने गुंड़ों जैसे सूलक करते हुए उनके साथ मारपीट की ये सब काफी शर्मनाक है। विपक्षी सांसद सदन के भीतर आम लोगों की आवाज उठाने का काम करते हैं, लेकिन सरकार लगातार उसे दबाने और कुचलने की कोशिश कर रही है।
गौरतलब है कि बीते बुधवार को राज्यसभा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक 2021 पेश कर रही थी। जिसका विपक्षी सांसद जोरदार विरोध कर रहा थे। विपक्ष ने दावा किया कि बीमा विधेयक के कारण बहुत से लोगों की नौकरी जायेगी और ये संशोधित विधेयक (Amended Bill) बेरोजगारी में इज़ाफा करेगा। इसी विधेयक के विरोध में विपक्षी सांसद सदन के वेल में आकर विरोध जाहिर करने लगे। साथ ही उन्होंने सरकार पर संसदीय नियमों का पालन ना करने का भी इल्जाम लगाया। जिसके कारण राज्यसभा के मानसून सत्र को दो दिन पहले समापन करते हुए अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा। हालांकि इसी दौरान राज्यसभा के सभापति भी इन हालातों को देखकर भावुक हो गये थे।