न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): केरल, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब में बर्ड फ्लू (Bird Flu) तेजी से पांव पसार चुका है। जिसके चलते कई राज्यों ने मौजूदा हालातों को देखते हुए हाई अलर्ट जारी कर दिया है। जिसके चलते बहुत सी जगहों पर मछली, मुर्गे व अंडों की बिक्री और इनसे जुड़े उत्पादों की खरीद फरोख्त पर कड़ी पाबंदियां लगा दी गयी है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत कई राज्यों ने एहियाती कदम उठाने के लिए ब्लू प्रिन्ट तैयार कर लिया है। एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस (Avian influenza virus) से फैलने वाली ये बीमारी पक्षियों से होते हुए इंसानों को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।
हाल ही में इंदौर में कई कौव्वे मरे हुए पाये गये थे। जिनकी जांच के बाद बर्ड फ्लू की बात सामने आयी। जिसके बाद राज्य प्रशासन ने मामले की संवेदनशीलता को भांपते हुए किसी भी पक्षी के बड़ी तादाद में मरे पाये जाने पर तत्काल सूचित करने के लिए आदेश जारी किये। बर्ड फ्लू की चपेट में मंदसौर, आगर-मालवा, खरगोन और सीहोर जिले आ चुके है। इसी क्रम में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा अंतरराष्ट्रीय रामसर वेटलैंड पौंग बांध (International Ramsar Wetland Pong Dam) के आसपास के इलाके में बड़े पैमाने पर प्रवासी विदेशी पक्षियों की लाशें मिली। जिनकी जांच के बाद उनमें बर्ड फ्लू का वायरस मिला। इसकी पुष्टि पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय ने की। स्थानीय सूत्रों के अनुसार कांगड़ा में एच5एन1 वायरस फ्लू के कारण 1700 से ज़्यादा परिंदे अपनी जान गंवा चुके है।
केरल के कोट्टायम और अलप्पुझा जिलों के कुछ इलाकों में भी बर्ड फ्लू के साक्ष्य सामने आये। जिसके बाद स्थानीय प्रशासन के आदेश पर सारस, कौवों, बगुलों, बत्तख, मुर्गियों और दूसरे घरेलू परिन्दों को मारने के फरमान आनन-फानन में जारी कर दिये गये। साल 2016 के दौरान बर्ड फ्लू काफी तेजी से केरल में फैला था। बरेली भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने देश के विभिन्न हिस्सों से आये सैंपल का विश्लेषण कर बर्ड फ्लू की पुष्टि कर दी है। अन्तिम पुष्टि के तौर पर भोपाल नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज की रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है। जिसे बर्ड फ्लू की जांच के लिए नोडल एजेंसी (Nodal agency) बनाया गया है।
कोरोना वायरस की तरह H5N1 एवियन एंफ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) इंसानों के श्वसन तन्त्र पर हमला (Attack on Respiratory tract) करता है। ये वायरस इंसानों को परिंदों के सम्पर्क में आने के बाद अपनी चपेट में लेता है। फिलहाल अब तक बर्ड फ्लू के 5 अलग-अलग तरह के वायरसों का पता लगाया जा चुका है। ये वायरस हर बार अपना स्ट्रेन बदलकर घातक रूप अख़्तियार करते है। चूंकि इंसान ज़्यादातर मुर्गियों के सम्पर्क में रहते है। इसलिए इसका आक्रमण होने पर मुर्गियों और मुर्गी उत्पादों से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है। इसकी चपेट में आने पर ज़्यादातर सांस लेने में समस्या, सांस ना आना और निमोनिया के लक्षण उभरते है।