हिन्दू लड़कियों को लेकर Pakistan ने मानी अपनी बड़ी गलती

न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): पाकिस्तान (Pakistan) का भविष्य मुल्ला, ऑर्मी और खुफ़िया एजेंसियों के भरोसे टिका हुआ है। भले ही इस्लामाबाद खुद इस्लामिक रिपब्लिक (Islamic republic) कहें, लेकिन वहाँ लोकतान्त्रिक व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नहीं है। अब इस बात की तस्दीक खुद पाकिस्तानी रहनुमाओं ने संसद में की है। पाकिस्तान में लंबे वक़्त से धार्मिक अल्पसंख्यकों खासतौर से हिन्दूओं पर चल रहे साम्प्रदायिक उत्पीड़न और ज़बरन धर्मान्तरण (Communal oppression and forced conversion of Hindu girls) के मामलों पर पाक संसद ने अपनी नाकामी को कबूला है। पाकिस्तान की कैबिनेट कमेटी ने माना है कि- पाकिस्तान  सरकार धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा मुहैया कराने में पूरी तरह नाकाम रही है। पाकिस्तानी सांसद अनवारुल हक काकर (Pakistani MP Anwarul Haque Kakar) की अगुवाई में इस कमेटी के सदस्यों ने सिंध प्रांत समेत कई उन इलाकों का दौर किया, जहां से बड़े पैमाने पर हिन्दू लड़कियों के धर्मान्तरण की वारदाते सामने आयी।

अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया ने भी इन खब़रों को काफी तव्ज़्जों दिया। पंजाब, सिंध और कुछ हद तक बलूचिस्तान में हिन्दू लड़कियों का ज़बरन धर्मान्तरण करके उनका उत्पीड़न किया जाता है। निकाह की आड़ में उन्हें यौन रूप से प्रताड़ित (Sexually abused) करने का चलन पाकिस्तान में काफी पुराना रहा है। सिंध प्रांत में दौर करने के अनुभवों को अनवारुल हक काकर ने स्थानीय मीडिया से साझा किया। उन्होनें इस बात को बेझिझक माना कि पाकिस्तानी हुकूमत इन घटनाओं पर लगाम कसने के लिए हर मोर्चे पर नाकाम रही है। कुछ खास ज़मातों और धार्मिक समूहों (Communal & religious groups) के दबाव में स्थानीय प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से बचता रहा है। जिसके कारण इस तरह का घटनाओं में इज़ाफा देखने को मिल रहा है। अनवारुल हक काकर ने ये बताया कि कुछ लोगों ने उन्हें दलील दी है कि हिन्दू लड़कियों का धर्मान्तरण कर निकाह करवाकर उनका जीवन स्तर सुधारा जा रहा है, लेकिन इस दलील को किसी तरह ज़ायज नहीं ठहराया जा सकता है। काकर ने माना कि बहला-फुसलाकर, ज़बरन दबाव बनाकर और पैसे लालच देकर हिन्दू लड़कियों से इस्लाम कबूल करवाना ज़बरन धर्म परिवर्तन ही माना जायेगा।

संसदीय समिति ने माना कि इस तरह की हरकतें पाकिस्तानी जम्हूरियत (Pakistani democratic system) शर्मसार करती है। हिंदू लड़कियों के साथ जो लोग ज़्यादती करते है, उन्हें सोचना चाहिए कि क्या वो अपने परिवार की औरतों के साथ ऐसा रवैया अख़्तियार करना पसन्द करेगें। जो लोग इस तरह के कामों को अन्ज़ाम दे रहे है, वो काफी बेदर्दी से हिन्दू परिवार को ठेस पहुँचा रहे है। हिन्दू परिवारों में पाकिस्तान सरकार के प्रति विश्वास बहाली का काम करना होगा। ये वक़्त की जरूरत है। कैबिनेट कमेटी ने सुझाव देते हुए कहा कि, पाकिस्तान में जहां कहीं भी हिन्दू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा हो, वहां के लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को नियमों में बदलाव करने चाहिए। किसी भी लड़की के निकाह के दौरान उसके माँ-बाप या गार्जियन की मौजूदगी और रजामंदी होनी चाहिए। ये डिस्ट्रिक एडमिनिस्ट्रेशन (District administration) की जिम्मेदारी बनती है कि वो लड़कियों को ये समझाये कि धर्मान्तरण कर ज़बरन शादी और रज़ामदी वाली शादी में क्या फर्क होता है। ऐसे नाबालिग लड़कियों के मामले में जिला प्रशासन की जवाबदेही काफी ज़्यादा बढ़ जाती है।

अनवारुल हक काकर की अगुवाई में तैयार संसदीय समिति की रिपोर्ट (Parliamentary committee report) के मुताबिक- धर्मान्तरण करवा कर निकाह के ज़्यादातर मामले खैबर पख्तूनख्वा, खैरपुर, मीरपुर खास, संगर, सक्कर, और घोटकी से सामने आये है। पंजाब प्रान्त के कुछ ईसाई अल्पसंख्यक लड़कियों (Christian minority girls) के भी ज़बरन निकाह हुए है। ज़बरन धर्मान्तरण और निकाह की इस कवायद को दो तरीकों से अन्ज़ाम दिया जाता है। पहले तरीके में लड़कियों का अपहरण कर उनका यौन उत्पीड़न किया जाता है। एक तयशुदा वक़्त के बाद उसे इस्लाम कबूल करवा कर निकाह कर दिया जाता है। दूसरे तरीके में उन्हें प्रेम के जाल में फांसा जाता है। इस पूरे काम के खब़र पुलिस और प्रशासन दोनों को ही होती है, लेकिन कुछ खास ज़मातों और गुटों के दबाव में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More