न्यूज डेस्क (निकुंजा वत्स): Pakistan: 25 जनवरी की तड़के पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (Tehreek-e-Insaf) के नेता फवाद चौधरी (Fawad Chaudhary) की गिरफ्तारी के बाद से गिरती अर्थव्यवस्था के बीच पाकिस्तान राजनीतिक अशांति का सामना कर रहा है। चौधरी की एकाएक हुई गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक संकट तेज हो गया है, जिसकी पत्रकारों ने व्यापक निंदा की, जिन्होंने उनकी रिहाई का आह्वान किया।
कई वरिष्ठ पत्रकारों, राजनीतिक विश्लेषकों और नागरिक समाज के सदस्यों ने पूर्व सूचना मंत्री की नजरबंदी के बारे में सोशल मीडिया पर अपनी चिंता ज़ाहिर की और सरकार से राजनीतिक के हालातों को बढ़ाने से बचने का आग्रह किया। पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई प्रमुख इमरान खान (Former Prime Minister and PTI chief Imran Khan) को कथित रूप से गिरफ्तार करने की योजना बनाने के लिये चौधरी की ओर से पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM- Pakistan Democratic Movement) सरकार की सार्वजनिक आलोचना के बाद गिरफ्तारी हुई।
उन्हें इस्लामाबाद (Islamabad) में दो दिन की रिमांड पर भेजा गया था और बाद में एक संवैधानिक संस्था के खिलाफ कथित तौर पर हिंसा भड़काने के एक मामले में उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। चौधरी इमरान खान के अंदरूनी घेरे से ताल्लुक रखते हैं, और यहे कयास लगाया जाता है कि उनकी गिरफ्तारी पीटीआई के दूसरे बड़े नेताओं के लिये खतरे की घंटी है।
सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर (Army Chief General Asim Munir) मुमकिन तौर पर गिरती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिये पीडीएम गठबंधन पर दांव लगा रहे हैं। खान के लिये उनके सियासी वजूद के विकल्पों में अब फिर से सड़कों पर उतरना और चुनाव जीतने के लिये पर्याप्त जन समर्थन जुटाना शामिल है।
दर्ज की गयी एफआईआर के मुताबिक चौधरी ने चुनाव आयुक्त, पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) के सदस्यों और उनके परिवारों को धमकी दी कि अगर उनकी नियुक्तियों के बाद पीटीआई के खिलाफ कोई “कथित नाइंसाफी” की कार्रवाई की गयी तो वो बदले की कार्रवाई करेंगे। ये भी कहा कि चौधरी ने राज्य चुनाव प्रक्रिया में “बाधा डालने” का प्रयास किया।
चौधरी की गिरफ्तारी का कई पाकिस्तानी मीडिया चैनलों पर सीधा प्रसारण किया गया। गैरवाज़िब प्रचार ने पीटीआई को ये दावा करने का मौका दिया है कि उन्हें पीडीएम सरकार और पंजाब में नवनियुक्त कार्यवाहक शासन की ओर से टारगेट किया जा रहा है।
पाकिस्तान का चुनाव आयोग भी खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब में चुनाव की तैयारियों पर ध्यान देने के बजाय विवाद के बीच फंस गया है।
25 जनवरी को चौधरी की गिरफ्तारी के बाद इमरान खान ने पाकिस्तान की न्यायपालिका से अपनी पार्टी के नेताओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का आह्वान किया। खान ने साफ किया कि वो अपने विवादास्पद सत्ता से बेदखल करने के पीछे के लोगों को चुनौती देना जारी रखेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि “अगर कोई सोचता है कि मैं उनकी गुलामी मंजूर कर लूंगा, तो मैं साफ करना चाहता हूं कि मैं उन्हें अपनी आखिरी सांस तक ललकारूंगा।” खान ने आगे कहा कि “जिस तरह से चौधरी के साथ सलूक किया जा रहा है। उनका किडनैप किया गया, उनके साथ दहशतगर्दों वाला सूलक किया गया, और साथ ही एक झूठी एफआईआर की बुनियाद पर उन्हें रिमांड पर लिया गया”
गौरतलब है कि पाकिस्तान में इस साल अगस्त के बाद आम चुनाव होने हैं। हालांकि खान मध्यावधि चुनाव (Midterm Elections) की लगातार मांग कर रहे हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ अल्वी (President Dr. Arif Alvi) ने मीडिया को दिये इंटरव्यूह में कहा कि अगर पीडीएम गठबंधन सरकार इमरान खान को गिरफ्तार करती है, तो इससे देश में भारी अस्थिरता पैदा होगी।
उन्होंने आगे कहा कि, “सरकार अगर इमरान को गिरफ्तार करने का सहारा लेती है तो वो आग से खेल रही होगी।” एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए अल्वी ने कहा कि ‘माइनस-इमरान खान’ फॉर्मूला कभी कामयाब नहीं हो सकता, क्योंकि उनके पास भारी जनसमर्थन है।
कई जानकारों का मानना है कि चौधरी की गिरफ्तारी देश को परेशान करने वाले असल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिये ये पीडीएम सरकार की सोची समझी चाल है। ये प्रकरण प्रभावी कानून बनाने में सरकार को नाकाबिल बनाने के साथ, आर्थिक संकट को दूर करने में विफलता, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने से इनकार करने पर रौशनी डालती है।