देश में 3 दिन पहले 10 लाख लोगों में से केवल 121 लोगों का कोरोना टेस्ट करवाया जा रहा था। अभी ये आंकड़ा बढ़कर 121 से 137 हो गया है। फिलहाल परीक्षण गति कछुआ रफ्तार से आगे बढ़ रही है। जिसकी वजह से देश एक बड़ी आपदा की ओर बढ़ रहा है। सरकारी खजाने में भारी भरकम दान राशि देने से बेहतर है कि, बड़े कॉरपोरेट्स वायरस के परीक्षण के लिए लैब बनवाएं। और खुद से तेजी के साथ अपने दम पर वायरस टेस्ट करने का जिम्मा उठाये। गंभीर और अप्रत्याशित हालातों के बीच सरकार लॉकडाउन को आंशिक रूप से बढ़ाने की योजना बना रही है। केंद्र का यह तुगलकी फरमान नरसंहार की ओर बढ़ते कदम जैसा है। कहीं ना कहीं सरकार लोगों को लॉक डाउन की अहमियत समझाने में नाकाम रही है। भारत जैसे देश में आंशिक रूप से तालाबंदी का कोई वजूद ही नहीं है। या तो इसे पूरी तरह से सख्ती से लागू किया जाना चाहिए या फिर पूरी तरह से हटा लिया जाना चाहिए। वक्त तेजी के साथ हाथों से निकला जा रहा है। ऐसे में व्यवस्था को फुर्ती के साथ काम करना चाहिए या फिर हमेशा के लिए उसे भूल जाना चाहिए।