न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): आगामी बोर्ड की परीक्षा को देखते हुए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम (Pariksha Pe Charcha 2021) के माध्यम से अभिभावकों अध्यापकों और छात्रों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले छात्रों से अपने अनुभव और कुछ टिप्स साझा किये। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुए इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेन फोकस परीक्षाओं के मद्देनज़र छात्रों का तनाव कम करने की ओर रहा। परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के लिए नामांकन की प्रक्रिया (Nomination process) बीते 14 मार्च को पूरी कर ली गई थी।
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक अब तक करीब 12 लाख से ज्यादा लोग कार्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके है। जिनमें एक लाख से ज्यादा पेरेंट्स, दो लाख से ज्यादा टीचर और 9 लाख से ज्यादा छात्र शामिल है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री से सवाल पूछने के लिए छात्रों का चुनाव प्रतियोगिता के द्वारा संपन्न करवाया गया। इस कार्यक्रम के दौरान छात्रों के ग्रुप ने सीधे प्रधानमंत्री से सवाल पूछे और उनसे बातचीत की। प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर वाली तस्वीरें उपहार में दी जायेगी। ये इस कार्यक्रम अपनी सूची का चौथा संस्करण (Fourth edition) है।
परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कही, ये अहम बातें:
- एक बात मैं देशवासियों, अभिभावकों, अध्यापकों को बताना चाहता हूं कि ये परीक्षा पर चर्चा है लेकिन सिर्फ परीक्षा की ही चर्चा नहीं है। बहुत कुछ बातें हो सकती हैं, एक नए आत्मविश्वास पैदा करना है।
- ये ‘परीक्षा पे चर्चा’ है, लेकिन सिर्फ़ परीक्षा की ही चर्चा नहीं है! बहुत कुछ बातें हो सकती हैं, एक नए आत्मविश्वास पैदा करना है। जैसे अपने घर में बैठ कर बाते करते हैं, अपनों के बीच बात करते हैं, दोस्तों के साथ बात करते हैं, आइए हम भी ऐसे ही बाते करेंगे।
- ये परीक्षा पर चर्चा का पहला वर्चुअल एडिशन है। हम पिछले एक साल से कोरोना के बीच जी रहे हैं और उसके कारण हर किसी को नया इनोवेशन करना पड़ रहा है। मुझे भी आप लोगों से मिलने का मोह इस बार छोड़ एक नए फॉर्मेट में आपके बीच आना पड़ रहा है।
- पहले मां-बाप बच्चों के साथ कई विषयों पर जुड़े रहते थे और सहज भी रहते थे। आजकल मां-बाप करियर, पढ़ाई सैलेबस तक बच्चों के साथ इंवॉल्व रहते हैं। अगर मां-बाप ज्यादा इंवॉल्व रहते हैं, तो बच्चों की रुचि, प्रकृति, प्रवृत्ति को समझते हैं और बच्चों की कमियों को भरते हैं।
- हमारे यहां एग्जाम के लिए एक शब्द है- कसौटी। मतलब खुद को कसना है, ऐसा नहीं है कि एग्जाम आखिरी मौका है। बल्कि एग्जाम तो एक प्रकार से एक लंबी जिंदगी जीने के लिए अपने आप को कसने का उत्तम अवसर है।
- समस्या तब होती है जब हम एग्जाम को ही जैसे जीवन के सपनों का अंत मान लेते हैं, जीवन-मरण का प्रश्न बना देते हैं। एग्जाम जीवन को गड़ने का एक अवसर है, एक मौका है उसे उसी रूप में लेना चाहिए।
- परीक्षा जीवन को गढ़ने का एक अवसर है, उसे उसी रूप में लेना चाहिए। हमें अपने आप को कसौटी पर कसने के मौके खोजते ही रहना चाहिए, ताकि हम और अच्छा कर सकें। हमें भागना नहीं चाहिए।
- पढ़ाई के लिए आपके पास दो घंटे हैं तो हर विषय को समान भाव से पढ़िए। पढ़ाई की बात है तो कठिन चीज को पहले लीजिए, आपका माइंड फ्रेश है तो कठिन चीज को पहले लेने का प्रयास कीजिए। कठिन को हल कर लेंगे तो सरल तो और भी आसान हो जाएगा।
- जब मैं मुख्यमंत्री था, उसके बाद मैं प्रधानमंत्री बना तो मुझे भी बहुत कुछ पढ़ना पढ़ता है। बहुत कुछ सीखना पड़ता है। चीजों को समझना पड़ता है। तो मैं क्या करता था कि जो मुश्किल बातें होती हैं, मैं सुबह जो शुरु करता हूं तो कठिन चीजों से शुरु करना पसंद करता हूं।
- आपको भले कुछ विषय मुश्किल लगते हों, ये आपके जीवन में कोई कमी नहीं है। आप बस ये बात ध्यान रखिए कि मुश्किल लगने वाले विषयों की पढ़ाई से दूर मत भागिए।
- जो लोग जीवन में बहुत सफल हैं, वो हर विषय में पारंगत नहीं होते। लेकिन किसी एक विषय पर, किसी एक सब्जेक्ट पर उनकी पकड़ जबरदस्त होती है।
- यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि खाली समय में किन चीजों से बचना चाहिए, नहीं तो वो ही चीज सारा समय खा जाएंगी। अंत में रिफ्रेश-रिलेक्स होने के बजाए आप तंग हो जाएंगे। थकान महसूस करने लगेंगे।
- खाली समय, इसको खाली मत समझिए, ये खजाना है, खजाना। खाली समय एक सौभाग्य है, खाली समय एक अवसर है। आपकी दिनचर्या में खाली समय के पल होने ही चाहिए।
- जब आप खाली समय earn करते हैं तो आपको उसकी सबसे ज्यादा value पता चलती है। इसलिए आपकी लाइफ ऐसी होनी चाहिए कि जब आप खाली समय earn करें तो वो आपको असीम आनंद दे।
- अपने Thoughts को, emotions को, express का एक creative तरीका दीजिए। Knowledge का दायरा कई बार वहीं तक सीमित होता है, जो आपको उपलब्ध है, जो आपके आसपास है।
- खाली समय में हमें अपनी Curiosity, जिज्ञासा बढ़ाने की और ऐसी कौन सी चीजें हम कर सकते हैं जो शायद बहुत productive हो जाएगी।
- बच्चे बड़े स्मार्ट होते हैं। जो आप कहेंगे, उसे वो करेंगे या नहीं करेंगे, यह कहना मुश्किल है, लेकिन इस बात की पूरी संभावना होती है कि जो आप कर रहे हैं, वो उसे बहुत बारीक़ी से देखता है और दोहराने के लिए लालायित हो जाता है।
- हमने जो अपना भाव-विश्व बनाया है, वो जब व्यवहार की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है तब बच्चों के मन में अंतरद्वंद शुरु हो जाता है।
- बच्चों के पीछे इसलिए भागना पड़ता है क्योंकि उनकी रफ्तार हमसे ज्यादा है। बच्चों को बताने, सिखाने, संस्कार देने की जिम्मेदारी परिवार की ही है, लेकिन कई बार बड़े होने के साथ हमें भी मूल्यांकन करना चाहिए।
- आपका बच्चा ‘पर-प्रकाशित’ नहीं होना चाहिए, आपका बच्चा स्वयं प्रकाशित होना चाहिए। बच्चों के अंदर जो प्रकाश आप देखना चाहते हैं, वो प्रकाश उनके भीतर से प्रकाशमान होना चाहिए।
- किसी को भी motivate करने का पहला पार्ट है- Training. Proper training एक बार बच्चे का मन train हो जाएगा तब उसके बाद motivation का समय शुरू होगा।
- करियर के चुनाव में एक पक्ष ये भी है कि बहुत से लोग जीवन में आसान रूट की तलाश में रहते हैं। बहुत जल्द वाह-वाही मिल जाए, आर्थिक रूप से बड़ा स्टेट्स बन जाए। ये इच्छा ही जीवन में कभी-कभी अंधकार का शुरुआत करने का कारण बन जाती है।
- प्रचार माध्यमों से हजार दो हजार लोग हमारे सामने आते हैं, दुनिया इतनी छोटी नहीं है। इतनी बड़ी विश्व व्यवस्था, इतना लंबा मानव इतिहास, इतनी तेजी से हो रहे परिवर्तन, बहुत सारे अवसर लेकर आते हैं।
- आवश्यक है कि दसवीं क्लास में, बारहवीं क्लास में भी आप अपने आसपास के जीवन को Observe करना सीखिए। आपके आसपास इतने सारे प्रोफेशन हैं, Nature of jobs हैं।
- सपनों में खोए रहना अच्छा लगता है। सपने देखना अच्छी बात है, लेकिन सपने को लेकर के बैठे रहना और सपनों के लिए सोते रहना ये तो सही नहीं है। सपनों से आगे बढ़कर, अपने सपनों को पाने का संकल्प ये बहुत महत्वपूर्ण है।