न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): संसद का मौजूदा सत्र (Parliament Monsoon Session) लगातार पेगासस स्नूपिंग (Pegasus Snooping) और तीनों कृषि कानूनों की भेंट चढ़ता जा रहा है। गतिरोध के चलते दोनों सदनों के पीठासीन सभापतियों (Presiding Chairmen) को कई बार संसदीय कार्रवाईयों को स्थगित करना पड़ा। कांग्रेसी की अगुवाई में विपक्षी पार्टियां सरकार से लगातार इन मुद्दों पर सदन में खुली बहस चाहती है। दूसरी ओर मोदी सरकार इन मुद्दों पर चर्चा करने को लेकर कुछ खास गंभीर नहीं दिख रही है।
कोरोना महामारी, पेगासस जासूसी कांड, मंहगाई और तीनों कृषि कानूनों पर विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है। जिससे संसदीय कार्यवाही में भारी गतिरोध पैदा हो रहा है। इस मुद्दे पर भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि, सदन में हम हर तरह की चर्चा के लिये तैयार है। जब पेगासस पर चर्चा हुई तो कांग्रेस ने मंत्री के बयान को फाड़ दिया। किसी भी विपक्षी दल का रवैया गंभीर नहीं है। कोई भी आज तक सबूत नहीं पेश कर पाया है कि उनके फोन के टैपिंग हुई है। क्या वाकई कांग्रेसी नेता और विपक्षी पार्टियां ईमानदार और स्वस्थ चर्चा संसद में चाहती है? इन्हें सिर्फ आलोचना करना और वॉकआउट (Walkout) करना आता है।
कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि- पेगासस मामला सीधे तौर पर देश की आंतरिक सुरक्षा (Intrinsic Safety) और लोगों की प्राइवेसी से जुड़ा हुआ है। हम इसी मुद्दे पर खुली चर्चा चाहते है लेकिन सरकार लगातार दावा कर रही है कि विपक्ष चर्चा से भाग रहा है लेकिन वास्तविकता ये है कि सरकार ही चर्चा नहीं करवाना चाहती।
तृणमूल कांग्रेस सांसदों के निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि, टीएमसी सांसद अपनी हरकतों से संसद को शर्मसार कर रहे है। टीएमसी लगातार साज़िश कर तोड़फोड़ का सहारा ले रही है। बंगाल के तर्ज़ पर वो अपनी हरकतें सदन में लाने की कोशिश कर रहे है। आज सुबह लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही कांग्रेसी सांसद मनीष तिवारी ने पेगासस प्रोजेक्ट के मुद्दे को लेकर निचले सदन में स्थगन के प्रस्ताव को नोटिस दिया।